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    बीते एक सप्ताह में पुतिन ने सोची में की है कई राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात, कुछ खास है बात

    पीएम मोदी से मुलाकात से पूर्व राष्ट्रपति पुतिन 'सोची' में ही कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात कर चुके हैं। इनमें जर्मनी की चांसलर मर्केल के अलावा सीरियाई राष्ट्रपति असद भी शामिल हैं।

    By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 22 May 2018 02:00 PM (IST)
    बीते एक सप्ताह में पुतिन ने सोची में की है कई राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात, कुछ खास है बात

    नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने इस माह सोची में एक नहीं कई राष्‍ट्राध्‍यक्षों से न सिर्फ मुलाकात की है बल्कि कई मुद्दों पर चर्चा भी की है। इसी फहरिस्‍त में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं। हालांकि इस मुलाकात को लेकर दोनों नेताओं का कोई एजेंडा नहीं है। लिहाजा ये मुलाकात कई बिंदुओं पर होने वाली है। लेकिन यह महज एक मुलाकात या दोनों नेताओं की वार्ता तक सीमित नहीं है। दरअसल इसके पीछे रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन की दूर की सोच काम कर रही है जो सोची में एक नया रूप ले रही है। उनकी यह सोच अमेरिका को लेकर है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि पिछले कुछ समय से अमेरिका और रूस के संबंध काफी निचले स्‍तर पर आ गए हैं।

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    शीतयुद्ध का दूसरा दौर

    बहरहाल, आगे बढ़ने से पहले जरा कुछ अतीत पर नजर मार ली जाए तो ज्‍यादा बेहतर होगा। आपको बता दें कि हाल के कुछ समय में अमेरिका और रूस के रिश्‍तों में काफी गिरावट आई है। जानकार इसको शीतयुद्ध के दूसरे दौर का भी नाम देने से नहीं हिचक रहे हैं। ईरान परमाणु डील से बाहर निकलने के बाद अमेरिका ने यूरोपीय कंपनियों को भी प्रतिबंधों की धमकी दी है। वहीं दूसरा मुद्दा अमेरिकी चुनाव में जासूसी का भी है, जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है। इसके अलावा रूसी जासूस की हत्‍या की कोशिश के मामले ने दोनों देशों के बीच लग रही चिंगारी में घी का काम किया है।

    इन देशों ने निकाले रूसी राजनयिक

    इस मुद्दे पर अमेरिका ने रूस के साठ राजनयिकों को देश से बाहर निकाला है। इसके साथ ही अमेरिका ने सीएटल में रूसी कॉन्सुलेट को भी बंद कर दिया है। हालांकि इस मुद्दे पर दुनिया के कई देशों ने अमेरिका का साथ देते हुए ऐसा ही कदम उठाया है। इसके तहत ब्रिटेन ने 23, यूक्रेन ने 13, जर्मनी फ्रांस, पोलैंड और कनाडा ने चार-चार, चेक गणराज्य और लिथुवानिया ने तीन-तीन, इटली, डेनमार्क, स्पेन और नीदरलैंड्स से दो-दो, एस्टोनिया, लातविया, स्वीडन, रोमानिया, क्रोएशिया, अल्बानिया और हंगरी ने एक-एक रूसी राजनयिक को निष्कासित किया है।

    प्रतिबंधों से बचने की को‍शिश

    इसके अलावा सीरिया और ईरान के मुद्दे पर भी रूस और अमेरिका के बीच मतभेद हैं। ईरान से परमाणु डील को रद करने के मुद्दे पर अमेरिका की जमकर किरकिरी हो रही है। इस मुद्दे पर यूरोप के देशों ने अमेरिका का साथ न देने का फैसला किया है। यही वजह थी कि राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी से एक दिन पहले जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल से सोची में मुलाकात की थी। इस मुलाकात का मकसद अमेरिका की वजह से उपजे ताजा हालातों पर चर्चा थी। लेकिन माना ये जा रहा है कि क्‍योंकि अमेरिकी प्रतिबंधों की गिरफ्त में रूस आ रहा है और इसके दुष्‍परिणामों का उसको सामना करना पड़ सकता है। लिहाजा रूस इनसे बचने और अमेरिका के खिलाफ देशों को एकजुट करने की कोशिश में लगा है। राष्‍ट्रपति पुतिन के चौथी बार सत्ता संभालने के कुछ ही समय में कई देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों से वार्ता यही संदेश दे रही है।

    असद-पुतिन मुलाकात

    एंजेला मर्केल से पहले पुतिन ने सोची में ही सीरिया के राष्‍ट्रपति बशर अल असद से मुलाकात की थी। इस दौरान पुतिन ने कहा था कि इससे सीरिया में सैन्य सफलता से राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने में मदद मिलेगी साथ ही विदेशी बलों की वापसी और देश के पुनर्निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा। पुतिन का कहना था कि आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई में सीरियाई सरकार की सेना की सफलता के बाद राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने का माहौल तैयार हो रहा है।

    इनसे भी हो चुकी है मुलाकात

    आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि पिछले सप्‍ताह रूस में यूरेशियन इकनॉमिक यूनियन समिट हुआ था जिसमें रूस के अलावा अर्मेनिया, कजाखिस्‍तान और किर्गीस्‍तान के राष्‍ट्राध्‍यक्षों ने हिस्‍सा लिया था। यह सम्‍मेलन इसी सोची शहर में हुआ था जहां पीएम मोदी, मर्केल और असद से पुतिन ने मुलाकात की थी। इससे पहले विक्‍ट्री डे के दौरान भी राष्‍ट्रपति पुतिन ने इजरायल के राष्‍ट्रपति बेंजामिन नेतन्‍याहू के अलावा सर्बिया के राष्‍ट्रपति एलेक्‍जेंडर वुजकिक से मुलाकात की थी। पिछले दो सप्‍ताह के अंदर यदि पुतिन की नेतन्‍याहू से मुलाकात को छोड़ दिया जाए तो उन्‍होंने लगभग उन देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों से मुलाकात और वार्ता की है जिनको अमेरिका की वजह से समस्‍याओं का सामना करना पड़ रहा है।