ट्रंप की नहीं गली दाल, जेलेंस्की को पीएम मोदी से है ये उम्मीद; आया बड़ा अपडेट
क्रेमलिन के अनुसार रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों की मुलाकात अभी जल्द नहीं होगी क्योंकि इसके लिए पूरी तैयारी जरूरी है। दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि दोनों देशों की टीमें संपर्क में हैं पर नई बैठक की तारीख तय नहीं है। जेलेंस्की ने भारत से शांति और कूटनीति में मजबूत भूमिका निभाने की अपील की है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से जारी युद्ध को समाप्त करने और शांति वार्ता की उम्मीदें अक्सर उठती रही है। इसी बीच बुधवार को क्रेमलिन ने साफ कर दिया कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की की संभावित मुलाकात इतनी जल्दी नहीं होने वाली है।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि इस स्तर की बैठक तभी हो सकती है, जब उसकी पूरी तैयारी हो। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी उच्च-स्तरीय बातचीत को प्रभावी बनाने के लिए पहले से अच्छी तैयारी जरूरी है।
रूस ने किया साफ
पेस्कोव ने यह भी बताया कि रूस और यूक्रेन की बातचीत करने वाली टीमें आपस में संपर्क में हैं। हालांकि, अब तक किसी नई बैठक की तारीख तय नहीं हुई है। इस बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कुछ दिनों पहले भारत से बड़ी उम्मीद जताई है।
अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों जेलेंस्की भारत से ही इतनी उम्मीद क्यों जता रहे हैं? दरअसल, हाल ही में यूक्रेन के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेलेंस्की को बधाई दी थी। इसके जवाब में जेलेंस्की ने पीएम मोदी को धन्यवाद कहा था।
जेलेंस्की की भारत से अपील
यूक्रेनी राष्ट्रपति ने भारत से वैश्विक शांति और कूटनीति में मजबूत भूमिका निभाने की अपील भी की। जेलेंस्की ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा था कि इस युद्ध दुनिया इस युद्ध को गरिमा और स्थाई शांति के साथ खत्म करना चाहती है और इसमें भारत का योगदान अहम हो सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जेलेंस्की को लिखे संदेश में साफ किया था कि भारत हमेशा शांति और बातचीत का पक्षधर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत हर उस प्रयास का समर्थन करेगा, जो युद्ध को बातचीत और कूटनीति से खत्म करने की दिशा में हो।
भारत से क्यों है उम्मीद?
दरअसल, भारत दशकों से रूसका भरोसेमंद सहयोगी रहा है और रक्षा सौदों, ऊर्जा व्यापार और रणनीतिक साझेदारी ने दोनों देशों को जोड़ रखा है। वहीं दूसरी ओर, यूक्रेन से भी भारत के गहरे संबंध रहे हैं। हजारों भारतीय छात्र यूक्रेन में पढ़ाई करते हैं और दोनों देशों के बीच दवाओं और आईटी सेक्टर में भी सहयोग रहा है।
यही कारण है कि भारत दोनों पक्षों से संवाद बनाए रखने की स्थिति में है। यही वजह है कि जेलेंस्की को लगता है कि भारत युद्ध को खत्म करने और शांति की दिशा में एक अहम भूमिका निभा सकता है।
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