Russia-Ukraine War: जर्मनी की गैस आपूर्ति में और कटौती करेगा रूस! अर्थव्यवस्था मंत्री ने 'कठिन' सर्दियों में तैयार रहने की दी नसीहत
Russia-Ukraine War यूरोपीय संघ के देश बिजली और बिजली उद्योग उत्पन्न करने के लिए रूस पर सबसे अधिक निर्भर हैं। यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस यूरोप में प्राकृतिक गैस आपूर्ति में लगातार कटौती कर रहा है। आशंका है कि इससे अगली सर्दी में हालात कठिन हो सकते हैं।

बर्लिन, एजेंसी। Russia-Ukraine War: करीब छह महीने से रूस और यूक्रेन (Russia) के बीच जारी युद्ध से अन्य देशों की अर्थव्यवस्था डगमगा रही है। खासकर यूरोपीय प्रांत दोनों देशों के युद्ध से सबसे अधिक प्रभावित है, क्योंकि रूस यूरोप को दी जाने वाली प्राकृतिक गैस की आपूर्ति (Natural Gas Supply) में लगातार भारी कटौती कर रहा है। इससे जर्मनी में हालात सबसे खराब स्थिति पर है। यहां गैस की भारी किल्लत और बढ़ते दामों से लोग परेशान है। अब सरकार को शक है कि आने वाले दिनों में रूस गैस आपूर्ति में और कटौती कर सकता है, जिससे सर्दियों में कठिन हालातों लिए तैयार रहने की जरूरत है।
गैस कटौती को लेकर सख्त होगा रूस
जर्मनी के अर्थव्यवस्था मंत्री रॉबर्ट हेबेक ने सोमवार को कहा कि सर्दियों में गैस आपूर्ति में कमी के कारण लोगों को मुश्किल समय का सामना करना पड़ सकता है। रॉबर्ट हेबेक ने कहा कि रूस आने वाले दिनों में गैस कटौती को लेकर और सख्त हो सकता है। मगर संभावना है कि सर्दियों में कठोर कदम उठाने की नौबत न आए, लेकिन विपरीत परिस्थियों के लिए तैयार रहने की जरूरत है।
खपत को काबू में रखने की अपील
गैस की किल्लत को देखते हुए यूरोपीय कमीशन इसकी खपत को कम करने को लेकर लगातार अपील कर रहा है। पिछले माह कमीशन ने कहा था बची हुई गैस का इस्तेमाल सर्दियों में किया जा सकेगा, क्योंकि रूस कभी भी गैस की सप्लाई को रोक सकता है। इसलिए इमारतों को तय तापमान से अधिक गर्म न रखा जाए।
मॉस्को पर निर्भर है यूरोप
गौरतलब है कि रूस ने यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी सहित पांच यूरोपीय संघ (ईयू) देशों में गैस की आपूर्ति कम कर दी है। यूरोपीय देश बिजली और बिजली उद्योग उत्पन्न करने के लिए रूस के मॉस्को की गैस पर सबसे अधिक निर्भर हैं। रूस द्वारा प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में लगातार कमी के मद्देनजर यूरोपीय नेताओं और व्यवसायों ने इस बात को लेकर आशंका जताई है कि अगली सर्दियों में या शायद इससे पहले ही यूरोप के प्रमुख देशों में आर्थिक संकट पैदा हो जाएगा।
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