रूस ने किया परमाणु सैन्य शक्ति का प्रदर्शन, ओरेशनिक हाइपरसोनिक मिसाइल ने भी दिखाई ताकत
रूस ने बेलारूस के साथ सैन्य अभ्यास में अपनी पारंपरिक और परमाणु सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया है। बेलारूस रूस का सहयोगी है। रूस ने पश्चिमी देशों को यूक्रेन में विदेशी सेना भेजने के खिलाफ चेतावनी भी दी है। वहीं राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यह अभ्यास क्षेत्रीय अखंडता की बिना शर्त सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया।

रॉयटर, मॉस्को। रूस ने बेलारूस के साथ सैन्य अभ्यास में अपनी पारंपरिक और परमाणु सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया है। बेलारूस रूस का सहयोगी है। रूस ने पश्चिमी देशों को यूक्रेन में विदेशी सेना भेजने के खिलाफ चेतावनी भी दी है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यह अभ्यास क्षेत्रीय अखंडता की बिना शर्त सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया।
रूसी उप रक्षा मंत्री भी इस सैन्य अभ्यास में शामिल हुए
बेलारूस के मिंस्क में आयोजित इस सैन्य अभ्यास का नाम ''जापद 2025'' - या ''वेस्ट 2025'' है। रूसी उप रक्षा मंत्री यूनुस-बेक येवकुरोव भी बेलारूस में अभ्यास में शामिल हुए।
बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने कहा है कि रूसी सामरिक परमाणु हथियारों का अभ्यास किया गया है। अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने भी सोमवार को इस संयुक्त युद्ध अभ्यास देखा। अमेरिका ने 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद पहली बार निमंत्रण स्वीकार किया।
ओरेशनिक हाइपरसोनिक मिसाइल ने भी दिखाई ताकत
अभ्यास में रूस की ओरेशनिक हाइपरसोनिक मिसाइल भी शामिल थी। यह पोलैंड स्थित हवाईअड्डे तक केवल 11 मिनट में और ब्रसेल्स स्थित नाटो मुख्यालय तक 17 मिनट में पहुंचने में सक्षम है। लक्ष्य पर पहुंचने से पहले यह पता लगाना मुश्किल है कि वह परमाणु हथियार ले जा रहा है या पारंपरिक।
युद्धाभ्यास में परमाणु-क्षमता से लैस बमवर्षक और युद्धपोत शामिल हैं। क्रेमलिन प्रमुख ने कहा कि इस अभ्यास में लगभग एक लाख सैन्य कर्मियों ने भाग लिया। जैपैड 2025 अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शांति समझौते के लिए प्रयास करने के बावजूद यूक्रेन में साढ़े तीन साल से युद्ध जारी है।
रूस के रक्षा मंत्रालय ने वीडियो जारी किया
रूस के रक्षा मंत्रालय ने परमाणु-सक्षम बमवर्षकों का वीडियो जारी किया है, जो अभ्यास का हिस्सा है। नाटो महासचिव मार्क रूट ने इस युद्धाभ्यास पर चिंता जताई है। युद्धाभ्यास शुरू होने से दो दिन पहले, 10 सितंबर को, लगभग 20 रूसी ड्रोन पोलैंड की हवाई सीमा में देखे गए, हालांकि मास्को ने पोलैंड को निशाना बनाने से इन्कार किया।
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