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    एस-400 की दूसरी डिलीवरी का करार कर रूस और तुर्की ने मिलकर फिर दिखाया अमेरिका को ठेंगा

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Tue, 16 Aug 2022 07:17 PM (IST)

    एस-400 को लेकर अमेरिका को फिर शर्मिंदा होना पड़ा है। इसकी वजह रूस और तुर्की के बीच इसकी दूसरी खेप की डिलीवरी को लेकर हुआ करार है। तुर्की ने ये सौदा अमेरिकी प्रतिबंधों और धमकियों को दरकिनार कर किया है।

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    तुर्की को जल्‍द मिलेगी एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की दूसरी खेप

    मास्‍को (एजेंसी)। रूस और तुर्की के बीच एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की दूसरी खेप की डिलीवरी को लेकर करार हो गया है। जल्‍द ही रूस इस करार के तहत तुर्की को इस अत्‍याधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की दूसरी खेप भेज देगा। इस करार के साथ ही दोनों देशों ने अमेरिका की इसको लेकर आपत्ति को दरकिनार कर फिर उसको ठेंगा दिखाने का काम किया है।

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    बता दें कि तुर्की पर इस मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम को लेकर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद भी तुर्की ने अपनी सामरिक सुरक्षा के लिए इसको जरूरी मानते हुए सौदे से मुंह नहीं मोड़ा। कूटनीतिक और रणनीतिक दोनों ही तरह से ये सौदा जहां इन दोनों की जीत को बयां कर रहा है वहीं अमेरिका की हार को भी दर्शा रहा है।

    आपको बता दें कि एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम को लेकर इन दोनों देशों के बीच हुआ करार इसलिए भी बेहद खास है क्‍योंकि तुर्की नाटो का एक अहम सहयोगी है। हालांकि, ये भी एक सच्‍चाई है कि तुर्की कई बार अमेरिका को ठेंगा दिखाकर आगे बढ़ता रहा है। रूस ने तुर्की को इस मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की पहली खेप जुलाई 2019 में प्राप्‍त हो गई थी। इसके चलते अमेरिका ने तुर्की के साथ एफ-35 स्‍टील्‍थ लड़ाकू विमान प्रोग्राम को सस्‍पेंड कर दिया था। अमेरिका ने तब कहा था कि ये दोनों चीजें एक साथ नहीं चल सकती हैं।

    रूस का ये मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम भारत, चीन और तुर्की के पास है। वहीं सीरिया में रूस ने इसके साथ एस-300 का भी इस्‍तेमाल किया है। जहां तक भारत की बात है तो अमेरिका ने काट्सा के तहत भारत पर इसकी खरीद को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था। भारत और रूस के बीच इसको लेकर वर्ष 2016 में करार हुआ था।

    इस मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की कई खूबियां हैं।

    • इसको आसानी से सड़क के रास्‍ते भी लेकर जाया जा सकता है।
    • ये किसी भी तरह के मिसाइल हमलों को रोकने में सक्षम है।
    • आदेश के महज 10 मिनट के अंदर ही इसको तैनात कर दुश्‍मन पर हमला बोला जा सकता है।
    • एक ही समय में ये कई टार्गेट पर निशाना साध सकती है।
    • इस मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की रेंज 300 किमी तक की है।
    • इसमें लगे अत्‍याधुनिक राडार दुश्‍मन की तरफ से आने वाली सभी मिसाइल की जानकारी समय से दे देते हैं।
    • इस मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम को बैलेस्टिक, हाइपरसोनिक मिसाइलों को समय रहते नष्‍ट करने के लिए ही डिजाइन किया गया है।  
    • 400 एक बार में एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकती है।
    • इसे 8X8 के ट्रक पर माउंट किया जा सकता है।
    • S-400 को नाटो ने SA-21 Growler लॉन्ग रेंज डिफेंस मिसाइल सिस्टम का नाम दिया है।
    • ये -50 से -70 डिग्री तक तापमान में भी सटीक काम करने में सक्षम है।
    • फिक्स पोजिशन न होने की वजह इसको नष्‍ट करना दुश्‍मन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। इसको डिटेक्‍ट करना भी आसान नहीं है। 
    • एस-400 मिसाइल सिस्टम (S-400 Air Defence Missile System) में अलग-अलग रेंज के लिए चार तरह की मिसाइलें होती हैं। ये 40, 100, 200, और 400 किलोमीटर तक होती हैं।
    • ये सिस्टम 100 से लेकर 40 हजार फीट तक उड़ने वाले हर टारगेट डिटेक्‍ट कर उसको तबाह करने में सक्षम है।
    • एस-400 मिसाइल सिस्टम (S-400 Air Defence Missile System) का रडार बहुत अत्याधुनिक और ताकतवर है | ये मिसाइल जमीन से हवा में मार करती है |