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    भारत ने रूस के 'सुदूर पूर्व' को दिया एक अरब डॉलर का कर्ज, भरपूर सहयोग का भी वादा

    By Manish PandeyEdited By:
    Updated: Thu, 05 Sep 2019 10:48 PM (IST)

    ईईएफ-2019 में भारत ने पांच अरब डॉलर (करीब 35 हजार करोड़ रुपये) के 50 समझौते किए हैं।

    भारत ने रूस के 'सुदूर पूर्व' को दिया एक अरब डॉलर का कर्ज, भरपूर सहयोग का भी वादा

    व्लादिवोस्तोक, प्रेट्र। भारत ने रूस के खनिजों और पेट्रोलियम से संपन्न सुदूर पूर्व क्षेत्र के लिए एक अरब डॉलर (करीब 7000 करोड़ रुपये) का कर्ज देने की अभूतपूर्व घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अत्यंत दुर्गम क्षेत्र में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भगीरथ प्रयासों को भरपूर सहयोग देने का वादा किया।

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    पांचवें ईस्टर्न इक्नॉमिक फोरम (ईईएफ) को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ईस्टर्न इक्नॉमिक फोरम का सक्रिय प्रतिभागी है। ईईएफ-2019 में भारत ने पांच अरब डॉलर (करीब 35 हजार करोड़ रुपये) के 50 समझौते किए हैं। भारतीय कंपनियों ने रूस तेल और गैस सेक्टर में निवेश किया है और रूसी कंपनियों ने ऊर्जा, रक्षा और तकनीक हस्तांतरण के क्षेत्र में निवेश किया है।

    उन्होंने कहा कि रूस को एक अरब डॉलर कर्ज देना भारत की ओर से किसी अन्य देश में किसी क्षेत्र के लिए विशेष रूप से ऋण देने का अनूठा मामला है। मेजबान राष्ट्रपति पुतिन की मौजूदगी में मोदी ने कहा कि भारत यह कर्ज 'सुदूर पूर्व' के विकास के लिए दे रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के पेट्रोलियम, गैस और अन्य खनिजों से परिपूर्ण 'सुदूर पूर्व क्षेत्र' के लिए भारत सरकार की 'एक्ट फार ईस्ट' नीति को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, 'मुझे पूरी उम्मीद है कि इस कदम से विकास की आर्थिक कूटनीति को नई ऊर्जा मिलेगी। इससे दोनों मित्र देशों के आपसी संबंध और मजबूत होंगे।' उन्होंने सहायता राशि को क्षेत्र में भारत का 'लांचिंग पैड' बताया, जहां वह खासा सक्रिय है।

    पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच मित्रता, यहां के लोगों और नजदीकी व्यापारिक रिश्तों के दम पर है। रूस के सुदूर पूर्व से भारत का पुराना रिश्ता है। भारत व्लादिवोस्तोक में कांसुलेट खोलने वाला पहला देश था। प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के सुदूर पूर्व के कल्याण के लिए पुतिन के नजरिए का स्वागत करते हुए कहा कि रूस ने इस क्षेत्र में भारत के लिए निवेश के अवसर खोल दिए हैं।

    वहीं, राष्ट्रपति पुतिन ने अपने भाषण में कहा कि रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र के विकास की घोषणा 21वीं सदी के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकता है। इस समग्र रुख के साथ अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, संस्कृति और संचार के क्षेत्र में सुधार किया जाएगा। पीएम मोदी ने रूस के सुदूर पूर्व की प्रगति में भी भारतीयों से अपना सक्रिय योगदान देने की अपील की।

    सुदूर पूर्व में मौसम है बेहद दुरुह
    रूस के सुदूर पूर्व में मौसम बेहद दुरुह है। यहां नौ महीने ठंड का मौसम रहा है। पूरे साल पूरा क्षेत्र बर्फ से ढंका रहता है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक यह क्षेत्र 6,952,555 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां जीवनयापन बेहद कठिन होने के चलते यहां की आबादी महज 81 लाख ही है।

    अमेरिकी प्रतिबंधों का असर नहीं
    प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अमेरिका ने रूस पर जो प्रतिबंध लगाए हैं भारत पर कोई असर नहीं है। भारत रूस के साथ ऊर्जा और रक्षा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में अपना सहयोग बढ़ा रहा है। ये प्रतिबंध दोनों ही भारत और रूस दोनों के ही लिए बाधक नहीं हैं। भारतीय फर्मो ने रूसी तेल व गैस क्षेत्र में सात अरब डॉलर का निवेश किया है। भारत इस क्षेत्र में रूस के साथ वर्ष 2001 से है, जब ओएनजीसी विदेश ने रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र में साखालिन-1 तेल व गैस फील्ड में बीस फीसद की हिस्सेदारी हासिल की थी। ओवीएल ने बाद में इम्पीरियल एनर्जी को खरीद लिया जो साइबेरिया में स्थित है।

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