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    New START Treaty: क्या वापस परमाणु संधि की ओर लौटेगा रूस ? दिमित्री पेसकोव बोले- ...पश्चिम पर करता है निर्भर

    न्यू स्टार्ट संधि के तहत दोनों देशों के परमाणु हथियारों की संख्या 1550 तक सीमित करना था। सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि इस संधि के खत्म होने से दोनों देशों में हथियारों की नई दौड़ शुरू हो सकती है।

    By AgencyEdited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 22 Feb 2023 08:26 PM (IST)
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    New START Treaty: क्या वापस परमाणु संधि की ओर लौटेगा रूस ?

    मॉस्को, रायटर। नाटो (NATO) के रुख में बदलाव और बातचीत की तत्परता दिखने के बाद ही अमेरिका के साथ परमाणु संधि की तरफ रूस लौटेगा। मॉस्को से बुधवार को यह जानकारी सामने आई। रूसी संसद के निचले सदन ने न्यू स्टार्ट संधि (New START Treaty) में मॉस्को की भागीदारी स्थगित करने के पक्ष में मतदान किया है। 2010 की इस संधि में प्रावधान है कि दोनों देश अधिकतम 1550 परमाणु हथियार ही हमले के लिए तैयार रखेंगे।

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    क्या है न्यू स्टार्ट संधि?

    न्यू स्टार्ट संधि के तहत दोनों देशों के परमाणु हथियारों की संख्या 1550 तक सीमित करना था। सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि इस संधि के खत्म होने से दोनों देशों में हथियारों की नई दौड़ शुरू हो सकती है। यह पूछे जाने पर कि रूस किन परिस्थितियों में समझौते पर चर्चा और इसके पालन के लिए सहमत होगा, रूसी प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बताया कि यह सब पश्चिम पर निर्भर है। जब पश्चिम देश रूस की चिंताओं पर ध्यान देंगे तब स्थिति बदल जाएगी।

    अनिश्चितता में फंसी संधि

    रूस और अमेरिका में फिलहाल अनिश्चितता में फंसी इस संधि में प्रत्येक पक्ष को यह अधिकार है कि वे एक-दूसरे की साइटों का निरीक्षण कर सकते हैं। संधि में यह भी प्रावधान है कि दोनों देश एक-दूसरे को परमाणु हथियार की तैनाती के बारे में जानकारी देंगे। हालांकि, कोविड और यूक्रेन युद्ध के कारण 2020 से परमाणु हथियार साइटों के निरीक्षण स्थगित हैं। इसी बीच अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रूस के कदम को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और गैर-जिम्मेदाराना बताया है।

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    इस संधि के संबंध में रूस ने कहा कि वह इससे पीछे हट रहा है, लेकिन वारहेड्स की अधिकतम संख्या का पालन करना जारी रखेगा। साथ ही रूस ने अपने निर्णय पर पुनर्विचार की गुंजाइश भी बताई है। रूस की मांग है कि परमाणु हथियारों के नियंत्रण की व्यवस्था में ब्रिटेन और फ्रांस को भी शामिल किया जाना चाहिए।

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