Colon Cancer Vaccine: कोलन कैंसर को मात देगी रूसी वैक्सीन, टीका इस्तेमाल के लिए तैयार
रूस की संघीय चिकित्सा एवं जैविक एजेंसी (एफएमबीए) ने दावा किया है कि कोलोन कैंसर के टीके ने प्रीक्लिनिकल परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं। एफएमबीए की प्रमुख वेरोनिका स्क्वोत्र्सोवा ने कहा कि सुरक्षा और प्रभाव की दृष्टि से यह टीका इस्तेमाल के लिए तैयार है। इस टीके का प्रारंभिक लक्ष्य कोलोरेक्टल कैंसर होगा। वर्तमान में प्रोस्टेट व मूत्राशय के कैंसर के लिए टीके उपलब्ध हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कैंसर, एक ऐसी घातक बीमारी जिसका नाम सुनते ही मन किसी अनहोनी के खौफ से भर जाता है। मगर, अब रूस की संघीय चिकित्सा एवं जैविक एजेंसी (एफएमबीए) का दावा 'डर के आगे जीत है' वाली कहावत को चरितार्थ करता प्रतीत होता है।
यूं तो कैंसर के कई प्रकार हैं, मगर एफएमबीए की प्रमुख वेरोनिका स्क्वोत्र्सोवा ने कहा है कि कोलोन कैंसर के टीके ने प्रीक्लिनिकल परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं। परीक्षण के दौरान सुरक्षा और प्रभाव दोनों की दृष्टि से इसके प्रदर्शन के मद्देनजर कोलन कैंसर के लिए रूसी टीका अब इस्तेमाल के लिए पूरी तरह से तैयार है।
क्या होता है कोलन कैंसर?
कोलन कैंसर को कोलोरेक्टल कैंसर भी कहा जाता है। यह कोलन (बड़ी आंत) के ऊतकों में शुरू होने वाला एक प्रकार का कैंसर है। यह तब होता है जब कोलन की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने और विभाजित होने लगती हैं, जिससे कोलन के अंदर पालीप्स (गांठें) बनती हैं जो समय के साथ कैंसरग्रस्त हो जाती हैं। इसके लक्षणों में मल में रक्त आना या मल त्याग की आदतों में बदलाव शामिल हो सकते हैं।
इस्तेमाल के लिए है तैयार
अब अनुमोदन का इंतजार रूस की अग्रणी न्यूज एजेंसी 'तास' की रिपोर्ट के अनुसार, ईस्टर्न इकनामिक फोरम (ईईएफ) में स्कवोत्र्सोवा ने कहा, ''यह शोध कई वर्षों तक चला, जिसमें से पिछले तीन वर्ष अनिवार्य प्रीक्लिनिकल अध्ययनों के लिए समर्पित थे। यह टीका अब इस्तेमाल के लिए तैयार है। हम आधिकारिक अनुमोदन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।''
उन्होंने कहा कि प्रीक्लिनिकल परिणामों से इस बात की पुष्टि हुई है कि सुरक्षा और उल्लेखनीय प्रभाव की दृष्टि यह टीका बेहद कारगर है। इस टीके के बार-बार इस्तेमाल के बाद भी इसके कोई (हानिकारक) साइड इफेक्ट नहीं दिखे। शोधकर्ताओं ने ट्यूमर के आकार में कमी और ट्यूमर के बढ़ने में कमी देखी, जो रोग की विशेषताओं के आधार पर 60 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक थी। इसके अतिरिक्त, अध्ययनों ने टीके के कारण जीवित रहने की दर में वृद्धि का संकेत दिया है।
टीके का प्रारंभिक लक्ष्य कोलोरेक्टल कैंसर होगा
स्कवोत्र्सोवा ने कहा कि इस टीके का प्रारंभिक लक्ष्य कोलोरेक्टल कैंसर होगा। इसके अलावा, ग्लियोब्लास्टोमा और विशिष्ट प्रकार के मेलेनोमा, जिनमें आकुलर (नेत्र संबंधी) मेलेनोमा भी शामिल है, के लिए टीके विकसित करने में भी आशाजनक प्रगति हुई है। इनका भी तेजी से विकास किया जा रहा है।
गौरतलब है कि दसवां ईस्टर्न इकनामिक फोरम 3-6 सितंबर को व्लादिवोस्तोक में ''सुदूर पूर्व: शांति और समृद्धि के लिए सहयोग'' विषय पर आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में 100 से अधिक विषयगत सत्र शामिल थे, जिन्हें सात ट्रैकों में विभाजित किया गया था। इसमें 75 से अधिक देशों के 8,400 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। वर्तमान में प्रोस्टेट व मूत्राशय के कैंसर के लिए टीके उपलब्ध हैं अधिकांश लोग खसरा और चिकनपाक्स जैसे संक्रमणों से बचाव के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले टीकों से परिचित हैं। ये टीके प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त करने, हानिकारक कीटाणुओं को पहचानने और उन पर असर डालने के लिए काम करते हैं।
हालांकि, कुछ टीके प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं की पहचान करने और उन्हें लक्षित करने में मदद करने के लिए डिजाइन किए जा सकते हैं। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, वर्तमान में कुछ प्रोस्टेट और मूत्राशय के कैंसर के लिए टीके उपलब्ध हैं, और अन्य पर शोध किया जा रहा है।
कैंसर के टीके प्रयोगशाला में तैयार किए जाते हैं जिनका उपयोग शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है ताकि वह शरीर की रक्षा कर सके। ये टीके भी कई प्रकार के होते हैं। कुछ का उपयोग कैंसर के उपचार के रूप में किया जा सकता है, जबकि अन्य का उपयोग कैंसर की रोकथाम के लिए किया जाता है (जैसे ह्यूमन पेपिलोमावायरस या एचपीवी का टीका)।
(समाचार एजेंसी एएनआइ के इनपुट के साथ)
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