US and Russia: धरती पर आमने-सामने अमेरिका और रूस का अंतरिक्ष में सहयोग, जानिए क्या है दोनों देशों के बीच यह समझौता
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोसकोसमोस ने बताया है कि उसने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के चलते अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र तक पहुंचने वाले अंतरिक्ष यानों में एक-दूसरे के अंतरिक्ष यात्री यात्रा कर सकेंगे।

मास्को, एजेंसियां। ऐसे में जबकि यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका और रूस में ठनी हुई है। रूस का रास्ता रोकने के लिए अमेरिका कोई मौका नहीं छोड़ रहा, तब अंतरिक्ष में अमेरिका और रूस के बीच समझौता हुआ है। दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों ने स्पेस स्टेशन पहुंचने वाले अंतरिक्ष यानों में यात्रा के लिए समझौता किया है।
समाचार एजेंसी रायटर के अनुसार यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंधों की झड़ी लगा रखी है। थल और जल में रूस के साथ ऐसा कोई सहयोग नहीं है जिसे अमेरिका ने खत्म या कम न किया हो। लेकिन अंतरिक्ष में दोनों देशों ने सहयोग बढ़ाया है।
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोसकोसमोस ने बताया है कि उसने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के चलते अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र तक पहुंचने वाले अंतरिक्ष यानों में एक-दूसरे के अंतरिक्ष यात्री यात्रा कर सकेंगे।
समझौते के अनुसार अमेरिका के अंतरिक्ष यानों में रूसी अंतरिक्ष यात्री और रूसी यानों में अमेरिकी यात्री अंतरिक्ष में जा और आ सकेंगे। यह समझौता उन अंतरिक्ष यानों के लिए हुआ है जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र तक जाएंगे। इस केंद्र में रूस की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है जबकि अमेरिका सहित कई अन्य देशों का हिस्सा कम है।
स्पेसक्स के सीआर-25 ने आइएसएस के लिए भरी उड़ान
वहीं, दूसरी ओर समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार स्पेसएक्स के अंतरिक्ष यान कार्गो रिसप्लाई सर्विसेज मिशन (सीआरएस 25) ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) के लिए उड़ान भरी।
नासा ने ट्वीट कर बताया कि स्पेसएक्स सीआरएस -25 ने फ्लोरिडा में कैनेडी स्पेस सेंटर से 14 जुलाई को उड़ान भरी। नेशनल एरोनाटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने ट्विटर पर सीआर-25 लांच का एक वीडियो साझा किया। इसमें स्पेसएक्स सीआरएस -25 के आइएसएस के लिए फिर से शुरू होने वाले मिशन के लिए लिफ्टआफ की पुष्टि की गई। इसेके शनिवार 16 जुलाई को आइएसएस पर पहुंचने की उम्मीद है।
सीआरएस-25 से अनुसंधान से जुड़े उपकरण भी भेजे गए हैं। इससे धरती के जलवायु महासागरों के विस्तृत अध्ययन में मदद मिलेगी। इसे जून में लांच किया जाना था, लेकिन हाइड्रोजन रिसाव के कारण इसे टाल दिया गया था।
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