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    World Press Freedom Day: पत्रकारों के लिए पाकिस्तान है विश्व की 5वीं सबसे खतरनाक जगह, शहबाज सरकार से की गई खास अपील

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By:
    Updated: Tue, 03 May 2022 04:04 PM (IST)

    पीएफयूजे के संयुक्त बयान में निष्कर्ष निकाला गया है कि सरकार को तुरंत प्रेस की स्वतंत्रता के लिए माहौल बनाना चाहिए ताकि देश में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने वाली रणनीति तैयार करने के लिए हितधारकों के साथ बातचीत शुरू हो सके।

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    पाकिस्तान फेडरल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स (पीएफयूजे) ने की पत्रकारों के रक्षा की अपील

    इस्लामाबाद, एएनआइ। 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान विश्व की पांचवी सबसे खतरनाक जगह है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पाकिस्तान फेडरल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स (PFUJ) ने शहबाज सरकार से पाकिस्तान में मीडिया के खिलाफ बढ़ते मानवाधिकारों के उल्लंघन के बीच मीडिया कर्मियों और पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा करने का आग्रह किया है।

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    सोमवार को जारी एक संयुक्त बयान में पीएफयूजे के अध्यक्ष शहजादा जुल्फिकार और महासचिव नासिर जैदी ने प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व को रेखांकित किया। पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डान की रिपोर्ट के अनुसार प्रेस की स्वतंत्रता किसी भी विकसित और स्वस्थ समाज की पहचान है और इससे समझौता नहीं किया जा सकता है।

    1990 से 2020 के बीच देश में 138 मीडियाकर्मियों ने ड्यूटी के दौरान गंवाई अपनी जान

    इंटरनेशनल फेडरेशन आफ जर्नलिस्ट्स (IFJ) के अनुसार पाकिस्तान को पत्रकारिता के के लिए पांचवां सबसे खतरनाक स्थान दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1990 से 2020 के बीच देश में 138 मीडियाकर्मियों ने ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाई है।

    पाकिस्तान में मीडिया की स्वतंत्रता की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए पीएफयूजे ने कहा कि हाल ही में कम से कम नौ मामलों में पत्रकारों को धमकाया गया या पूरी तरह से चुप करा दिया गया, चाहे वह हमला, जबरन गायब कराना, हत्या या प्रत्यक्ष सेंसरशिप के रूप में ही क्यों न हो।

    जो लोग सरकार के दबाव के आगे नहीं झुके उन्हें आर्थिक रूप से किया गया दंडित

    डान की रिपोर्ट के अनुसार पीएफयूजे ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार के कार्यकाल को मीडिया के लिए भयानक करार दिया। इसके अलावा मीडियाकर्मियों को पीटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा परेशान किया गया और यहां तक ​​कि महिला पत्रकारों और एंकरों को भी कैबिनेट सदस्यों द्वारा परेशान किया गया और जमकर ट्रोल किया गया, जो किसी भी सभ्य समाज में नहीं देखा जा सकता है। पाकिस्तान में जो लोग सरकार के दबाव के आगे नहीं झुके उन्हें आर्थिक रूप से दंडित किया गया, जिससे मीडिया घरानों और मीडियाकर्मियों को समान रूप से उद्योग को वित्तीय दिवालियापन की ओर धकेलने का नुकसान हुआ है।

    शहबाज सरकार को तुरंत प्रेस की स्वतंत्रता के लिए बनाना चाहिए माहौल

    पीएफयूजे के संयुक्त बयान में निष्कर्ष निकाला गया है कि सरकार को तुरंत प्रेस की स्वतंत्रता के लिए माहौल बनाना चाहिए ताकि देश में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने वाली रणनीति तैयार करने के लिए हितधारकों के साथ बातचीत शुरू हो सके।

    बता दें कि पाकिस्तान शीर्ष 10 देशों में बना हुआ है जहां पत्रकारों और मीडिया पर हमले के शिकारियों को कोई सजा नहीं मिलती है। घातक हमलों के अलावा पत्रकारों को अन्य श्रेणियों के खतरों का सामना करना पड़ता है जैसे कि शारीरिक हमले, अपहरण, कारावास और यातना जैसी चीजें शामिल हैं।

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