क्या है अल कादिर ट्रस्ट केस? जिसमें इमरान खान और पत्नी बुशरा को हुई जेल; पढ़िए पूरा घटनाक्रम
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा को अल कादिर ट्रस्ट मामले में दोषी ठहराया गया है। कोर्ट ने दोनों को सजा का एलान कर दिया है। यह मामला बहरिया टाउन से अवैध धन और भूमि ट्रांसफर से संबंधित है। ये पूरा विवाद अल कादिर ट्रस्ट यूनिवर्सिटी से जुड़ा है। आगे खबर में समझिए पूरा मामला क्या था।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान की एक अदालत ने पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को तगड़ा झटका दिया है। भूमि भ्रष्टाचार के एक मामले में इमरान खान को 14 साल की सजा सुना दी गई है। यह मामला अल-कादिर ट्रस्ट के 190 मिलियन पाउंड के भ्रष्टाचार से जुड़ा है। वहीं इमरान की पत्नी बुशरा बीबी को भी 7 साल की सजा सुनाई गई है।
ये पूरा विवाद अल कादिर ट्रस्ट यूनिवर्सिटी से जुड़ा है। इमरान खान, उनकी पत्नी बुशरा बीबी और उनके करीबी सहयोगी जुल्फिकार बुखारी और बाबर अवान ने अल-कादिर प्रोजेक्ट ट्रस्ट का गठन किया था, जिसका उद्देश्य पंजाब के झेलम जिले की सोहावा तहसील में 'गुणवत्तापूर्ण शिक्षा' प्रदान करने के लिए अल-कादिर यूनिवर्सिटी की स्थापना करना था।
क्या है अल-कादिर ट्रस्ट केस?
- डॉन की रिपोर्ट के अनुसार,यह मामला बह्रिया टाउन से जुड़ी जमीन और पैसे के लेन-देन से जुड़ा है, जिसमें इमरान खान पर भ्रष्टाचार का आरोप है। यह इमरान खान के पीएम कार्यकाल के दौरान हुआ था।
- इमरान खान और बुशरा बीबी पर आरोप लगा था कि उन्होंने बह्रिया टाउन लिमिटेड से अरबों रुपये और सैकड़ों कनाल जमीन हासिल की। अदालत ने इन आरोपों को ठीक पाते हुए इमरान और बुशरा को दोषी ठहराया।
- एनएबी (NAB) (नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो) की तरफ से दायर संदर्भ में आरोप लगाया गया कि इमरान जो फिलहाल जेल में है ने बहरिया टाउन, कराची भूमि के भुगतान के लिए खाते में पाकिस्तान राज्य के लिए धन के अवैध धन ट्रांसफ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- यह भी दावा किया गया कि जानकारी को सही ठहराने और प्रदान करने के लिए कई अवसर दिए जाने के बावजूद, आरोपी ने जानबूझकर, गलत इरादे से, किसी न किसी बहाने से जानकारी देने से इनकार कर दिया।
- प्रॉपर्टी टाइकून मलिक रियाज हुसैन और उनके बेटे अहमद अली रियाज, मिर्जा शहजाद अकबर और जुल्फी बुखारी भी इस संदर्भ में संदिग्धों में से हैं, लेकिन जांच और उसके बाद की अदालती कार्यवाही में शामिल होने के बजाय, वे फरार हो गए और बाद में उन्हें घोषित अपराधी (पीओ) घोषित कर दिया गया।
कैसे हुई शुरुआत?
यह सब पांच साल पहले शुरू हुआ जब यूनाइटेड किंगडम की राष्ट्रीय अपराध एजेंसी (एनसीए) प्रॉपर्टी टाइकून मलिक रियाज के परिवार के साथल 190 मिलियन डॉलर के समझौते पर सहमत हुई।
एनसीए की तरफ से जारी बयान के अनुसार, समझौते में यूके की संपत्ति - 1 हाइड पार्क प्लेस, लंदन, डब्ल्यू 2 2 एलएच - शामिल है, जिसका मूल्य लगभग 50 मिलियन है और सभी धनराशि मलिक रियाज के जमे हुए खातों में आ गई।
यह घोटाला तब सामने आया जब पाकिस्तान के मीडिया ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा 180 मिलियन पाकिस्तानी रुपये प्राप्त किए गए थे, जबकि रिकॉर्ड में लगभग 8.52 मिलियन पाकिस्तानी रुपये का खर्च दिखाया गया।
2019 से समझिए पूरा केस
- बता दें कि 2019 में 26 दिसंबर को इमरान खान ने अल कादिर यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट के लिए ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन करवाया। पाकिस्तान के सबसे अमीर शख्स मलिक रियाज बाद में इसके लिए जमीन के डोनर बने।
- ट्रस्ट के डीड के रजिस्ट्रेशन के बाद बहरिया टाउन ने सोहावा, झेलम में 458 कनाल जमीन खरीदी और जुल्फी बी के नाम पर जमीन ट्रांसफर की। स्टांप पेपर के अनुसार, जमीन की कीमत 243 करोड़ रुपए तय की गई थी।
- जुल्फी बी ने जमीन ट्रस्ट के नाम ट्रांसफर कर दी।
- वहीं 2021 से ट्रस्ट को 180 रुपए का दान मिला।
- इस मामले के संबंध में पहली बार इमरान खान को 9 मई, 2023 में गिरफ्तार किया गया था। एक ऐसा घटनाक्रम है जिसने देशव्यापी विरोध और दंगों को जन्म दिया।
बाद में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गिरफ्तारी को गैरकानूनी घोषित करने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। नवंबर 2023 में, इमरान, जो पहले से ही सिफर मामले में अदियाला जेल में कैद था, को अल-कादिर ट्रस्ट मामले में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो की तरफ से फिर से गिरफ्तार किया गया था। तब से वह जेल में ही हैं।
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