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    अफगानिस्तान के 28 प्रांतों में फैली हिंसा, 24 घंटे में 34 में से 28 प्रांत तालिबान आतंकियों के हमलों की चपेट में

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Sat, 31 Oct 2020 09:31 PM (IST)

    अफगानिस्तान में हिंसा का दौर तेज हो गया है। पिछले 24 घंटे के दौरान देश के 34 में से 28 प्रांत तालिबान आतंकियों के हमलों की चपेट में आ गए हैं। हेलमंद कंधार और उरुजगन में पिछले कुछ दिनों से सरकारी बलों और तालिबान के बीच खूनी संघर्ष जारी है।

    पिछले 24 घंटे के दौरान अफगानिस्तान के 28 प्रांत तालिबान आतंकियों के हमलों की चपेट में आ गए हैं।

    काबुल, आइएएनएस। अफगानिस्तान में हिंसा का दौर तेज हो गया है। पिछले 24 घंटे के दौरान देश के 34 में से 28 प्रांत तालिबान आतंकियों के हमलों की चपेट में आ गए हैं। हेलमंद, कंधार और उरुजगन में पिछले कुछ दिनों से सरकारी बलों और तालिबान के बीच खूनी संघर्ष जारी है। जानकारों का मानना है कि अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच सीधी शांति वार्ता में लगातार हो रही देरी के चलते यह हिंसा फैली है।

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    रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता रोहुल्ला अहमदजई ने कहा, 'तालिबान आतंकियों ने पिछले 24 घंटे में 28 प्रांतों में जांच चौकियों और सरकारी बलों के अड्डों पर हमले किए हैं। सरकारी बलों ने भी जवाबी कार्रवाई कर इन हमलों को विफल किया और कई तालिबान आतंकियों को मार गिराया।' कंधार के पुलिस प्रमुख तादिन खान ने कहा कि अफगान बलों के साथ संघर्ष में 70 तालिबान आतंकी मारे गए हैं और कई अन्य घायल हुए हैं।

    अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि हेलमंद प्रांत में मुल्ला अमानुल्ला समेत 19 तालिबान आतंकी मारे गए हैं। शुक्रवार को हवाई हमले में उसके आठ साथी भी मारे गए। पिछले महीने तालिबान ने हेलमंद प्रांत के केंद्र में स्थित लक्षरगढ़ पर खतरनाक हमला किया था। इस हमले के कारण हजारों लोग बेघर हो गए। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले नौ महीने के दौरान अफगानिस्तान में 2,117 नागरिक मारे गए हैं।

    बीते दिनों आए एक सर्वेक्षण के अनुसार अफगानिस्तान में 23-27 अक्टूबर के बीच विस्फोटों और सशस्त्र हमलों में कम से कम 58 लोग मारे गए जबकि 143 से अधिक घायल हो गए हैं। ये मौतें काबुल, गजनी, खोस्त और जाबुल प्रांतों में हुई हैं। हाल ही में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा था कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान अव्यवस्था और अराजकता का जोखिम नहीं उठा सकते क्योंकि ऐसी परिस्थितियों में दोनों देशों के लिए प्रलयकारी परिणाम सामने आएंगे।