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    पाकिस्तान से लिया जाएगा पाई-पाई का हिसाब, ट्रंप के बदले तेवर तो उड़ गई शाहबाज की नींद

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 10:00 PM (IST)

    पाकिस्तान की आर्थिक चुनौतियों के बीच अमेरिका ने उसके रक्षा बजट पर चिंता जताई है। अमेरिका ने पाकिस्तान से रक्षा और खुफिया बजट को संसदीय निगरानी में रखने का आग्रह किया है ताकि वित्तीय जवाबदेही बढ़ाई जा सके। विदेश विभाग की रिपोर्ट में सैन्य बजट पर पर्याप्त निगरानी की कमी बताई गई है। पाकिस्तान के 2025-26 के बजट में रक्षा के लिए 2.55 ट्रिलियन रुपये आवंटित हैं।

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    ट्रंप के बदले तेवर तो उड़ गई शाहबाज की नींद (फाइल)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऐसे समय में जब पाकिस्तान आर्थिक स्थिरता के लिए जूझ रहा है, बढ़ते बजटीय दबावों का सामना कर रहा है और महत्वपूर्ण बाहरी वित्तपोषण एवं निवेश की आस लगाए बैठा है, तब अमेरिका भी उससे संवेदनशील रक्षा खर्च पर पाई-पाई का हिसाब लेना चाहता है। खुफिया बजट के दुरुपयोग को लेकर चिंता जताते हुए अमेरिका ने पाकिस्तान से अपने रक्षा और खुफिया बजट को संसदीय या नागरिक निगरानी में रखने का आग्रह किया है और इसे वित्तीय जवाबदेही एवं पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।

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    यह सिफारिश शुक्रवार को जारी अमेरिकी विदेश विभाग की 2025 की वित्तीय पारदर्शिता रिपोर्ट में शामिल की गई है। यह वार्षिक मूल्यांकन विभिन्न सरकारों के बजटीय जानकारी की समीक्षा करता है और यह इस बात पर केंद्रित है कि राज्य सरकारी धन के बारे में सूचित, उसका लेखा-परीक्षण और प्रबंधन कैसे करते हैं।

    रिपोर्ट के कहा गया है, ''सैन्य और खुफिया बजट पर्याप्त संसदीय या नागरिक सार्वजनिक निगरानी के अधीन नहीं थे। वित्तीय पारदर्शिता में सुधार के लिए पाकिस्तान जो कदम उठा सकता है, उनमें सैन्य और खुफिया एजेंसियों के बजट को संसदीय या नागरिक सार्वजनिक निगरानी के अधीन करना शामिल है।''

    पाकिस्तान से कार्यकारी बजट प्रस्ताव प्रकाशित करने की मांग

    डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश विभाग ने पाकिस्तान से अपने कार्यकारी बजट प्रस्ताव को समय पर प्रकाशित करने का भी आग्रह किया। मूल्यांकन में कहा गया है कि सरकार ने अपने कार्यकारी बजट प्रस्ताव को उचित समय सीमा के भीतर प्रकाशित नहीं किया। इसे पहले जारी करने से सार्थक बहस और जांच का अवसर मिलेगा। ऋण के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि ''सरकार ने प्रमुख सरकारी उद्यमों के ऋण एवं इससे संबंधित दायित्वों पर केवल सीमित जानकारी ही सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई।''

    सरकारी ऋण दायित्वों पर विस्तृत जानकारी की सिफारिश

    रिपोर्ट में सरकारी उद्यमों के लिए ऋण सहित सरकारी ऋण दायित्वों पर विस्तृत जानकारी देने की भी सिफारिश की गई है। उल्लेखनीय है कि 2025 की समीक्षा में ऋण पारदर्शिता में खामी और संवेदनशील रक्षा व्यय पर विधायी निगरानी के अभाव के बारे में पिछली रिपोर्टों में उठाई गई चिंताओं को दोहराया गया है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में जारी की गई है जब पाकिस्तान बढ़ते बजटीय दबावों का सामना कर रहा है। इसके 2025-26 के बजट में 17.57 ट्रिलियन रुपये का आवंटन निर्धारित किया गया है। इसमें से 9.7 ट्रिलियन रुपये ऋण चुकाने के लिए निर्धारित हैं, जबकि 2.55 ट्रिलियन रुपये रक्षा बजट के लिए निर्धारित किए गए हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक है।

    सऊदी अरब के सस्ते ऋण पर पाकिस्तान की मौज

    सऊदी अरब, पाकिस्तान के लिए सस्ते विदेशी ऋणों का प्रमुख स्त्रोत बना हुआ है जहां वार्षिक ब्याज दर केवल चार प्रतिशत है। आधिकारिक रिकार्ड के अनुसार, हाल के वर्षों में इस्लामाबाद द्वारा लिए गए ऋण पर रियाद ने सिर्फ चार प्रतिशत ब्याज दर वसूला। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, मूल रूप से एक वर्ष के लिए अनुबंधित यह ऋण अभी तक चुकाया नहीं गया है। सऊदी अरब बिना कोई अतिरिक्त शुल्क लगाए इसे वार्षिक रूप से आगे बढ़ा रहा है। सऊदी अरब से लिए ऋण पर ब्याज चीन की तुलना में सस्ता है।

    (समाचार एजेंसी एएनआइ-पीटीआई के इनपुट के साथ)

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