पाकिस्तान पर भारी पड़ा तालिबान! दोनों देशों के बीच बढ़ा तनाव; डूरंड लाइन पर क्यों छिड़ी जंग?
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर भीषण गोलीबारी के बाद तनाव बढ़ गया है। दोनों देश हताहतों की संख्या पर अलग-अलग दावे कर रहे हैं। यह झड़प डूरंड लाइन पर हुई, जिसे अफगानिस्तान मान्यता नहीं देता। अफगान रक्षा मंत्रालय ने किसी भी हमले का सख्त जवाब देने की चेतावनी दी है, जिसके बाद तोर्खम बॉर्डर क्रॉसिंग बंद कर दी गई है।

टीटीपी को लेकर दोनों देशों में आरोप-प्रत्यारोप (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर भीषण गोलीबारी और बमबारी के बाद हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। अफगान अधिकारियों ने दावा किया है कि उनकी सेनाओं ने जवाबी कार्रवाई में 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया, जबकि पाकिस्तान ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि सिर्फ 23 सैनिक मारे गए और उन्होंने 200 तालिबान लड़ाकों को ढेर किया।
दोनों देशों के बीच यह झड़प 2600 किलोमीटर लंबी डूरंड लाइन पर हुई जिसे अफगानिस्तान कभी आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं देता। काबुल ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान ने अफगान इलाकों में बमबारी की, जिससे राजधानी काबुल और देश के पूर्व बाजार भी शामिल हैं। पाकिस्तान ने इन आरोपों की न तो पुष्टि की है और न ही खंडन किया।
अफगान रक्षा मंत्री की चेतावनी
अफगान रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्लाह ख्वारजमी ने कहा, "हमारी सेना देश की सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है और किसी भी हमले का सख्त जवाब देगी।" सीमा पर बढ़ते तनाव के चलते तोर्खम बॉर्डर क्रॉसिंग बंद कर दी गई है, जो दोनों देशों के बीच व्यापार के लिए अहम मार्ग है।
इस बीच सऊदी अरब और कतर ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए समस्या सुलझाने की अपील की है। भारत दौरे पर आए अफगान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने पाकिस्तान के इस आरोप को खारिज किया कि तालिबान सरकार TTP (तहरिक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के आतंकियों को पनाह दे रही है।
मुत्तकी ने पाकिस्तान को चेताया
उन्होंने कहा, "टीटीपी के सदस्य पाकिस्तानी हैं और वे यहां शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं। यह लड़ाई पाकिस्तान के अंदर की है, न कि हमारी।" मुत्तकी ने आगे कहा कि पाकिस्तान अपने ही लोगों को भरोसे में नहीं ले पा रहा है और दूसरों को खुश करने के लिए खुद के नागरिकों को खतरे में डाल रहा है।
उन्होंने चेतावनी दी, "हम शांति चाहते हैं, लेकिन अगर हमला हुआ तो हमारे पास और विकल्प भी हैं।" बता दें, कभी पाकिस्तान तालिबान का सबसे बड़ा समर्थक था। 1990 के दशक में उसने तालिबान सरकार को मान्यता देने वाले तीन देशों में से एक था।
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