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    पाकिस्तान में रातों-रात हटाई गई महान सिख योद्धा हरि सिंह नलवा की मूर्ति, सिख समुदाय ने जताया रोष

    By Mohd FaisalEdited By:
    Updated: Thu, 03 Feb 2022 06:08 PM (IST)

    पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के हरिपुर जिले में स्थानीय प्रशासन द्वारा महान सिख योद्धा हरि सिंह नलवा की मूर्ति को हटाने के बाद सिख समुदाय में काफी रोष है। सिख समुदाय ने कहा कि हरि सिंह की मूर्ति को हटाकर उनकी भावनात्मक और धार्मिक मूल्यों को चोट पहुंचाई है।

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    महान सिख योद्धा हरि सिंह नलवा की मूर्ति फाइल फोटो

    इस्लामाबाद, एएनआइ: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के हरिपुर जिले में स्थानीय प्रशासन द्वारा महान सिख योद्धा हरि सिंह नलवा की मूर्ति को हटाने के बाद सिख समुदाय में काफी रोष है। सिख समुदाय ने हरि सिंह नलवा की मूर्ति को हटाए जाने पर गुस्सा जताया है। उहोंने कहा कि, हरि सिंह की मूर्ति को हटाकर प्रशासन ने उनके भावनात्मक और धार्मिक मूल्यों को चोट पहुंचाई है। दरअसल, हरि सिंह नलवा की मूर्ति को 2017 में चौक पर लगाया गया था। हरि सिंह नलवा ने महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य की स्थापना और उसकी विजय में प्रमुख भूमिका निभाई थी।

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    जानकारी के अनुसार, हरि सिंह का जन्म 1791 में पंजाब के गुजरांवाला में हुआ था और वह महाराजा रणजीत सिंह की सिख सेना खालसा के कमांडर-इन-चीफ थे। उन्होंने कई लड़ाइयां लड़ीं, लेकिन वे कसूर, मुल्तान, अटक, पेशावर और जमरूद को जीतने के लिए प्रसिद्ध हैं। अप्रैल 1837 में जमरूद में हरि सिंह की मृत्यु हो गई थी। जब हरि सिंह नलवा की प्रतिमा स्थापित की गई थी। तो प्रशासन की तरफ से लाख दावे किए गए थे। मूर्ति स्थापित करते वक्त ये कहा गया था कि, धार्मिक पर्यटन और सहिष्णुता को बढ़ावा दिया जा रहा है। हालांकि, मूर्ति को हटाकर प्रशासन ने अपने उन वादों को भी भुला दिया।

    प्रतिमा हटाए जाने से आक्रोशित सिखों का कहना है कि, पाकिस्तान में ऐसे निर्णय लेने वाले अधिकारी भूल रहे हैं कि इतिहास को न तो बदला जा सकता है और न ही पलटा जा सकता है। पाकिस्तान जो सिखों की समानता और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए बड़े कदम उठा रहा है, उसे याद रखना चाहिए कि सिखों की अपने गुरुओं में गहरी आस्था है।

    आपको बता दें कि, हरि सिंह नलवा, महाराजा रणजीत सिंह की फौज के सबसे भरोसेमंद कमांडर थे। वह कश्मीर, हाजरा और पेशावर के गवर्नर रहे। उन्होंने कई अफगान योद्धाओं को शिकस्त दी और यहां के कई हिस्सों पर अपना वर्चस्व स्थापित किया। साथ ही उन्होंने अफगानों को खैबर दर्रे का इस्तेमाल करते हुए पंजाब में आने से रोका। हरी सिंह नलवा ने अफगानों के खिलाफ कई युद्धों में हिस्सा लिया था।