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    पाकिस्तान का पीछा नहीं छोड़ रहे 1971 के पाप, बांग्लादेश ने फिर की मांफी की मांग

    पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार की बांग्लादेश यात्रा के दौरान 1971 के मुक्ति संग्राम के मुद्दे फिर से उठे। बांग्लादेश ने नरसंहार के लिए माफी वित्तीय मुआवजा फंसे हुए पाकिस्तानियों की वापसी और चक्रवात पीड़ितों के लिए मदद की मांग दोहराई। डार ने 1971 के मामले को सुलझा हुआ बताया पर बांग्लादेश ने असहमति जताई।

    By Jagran News Edited By: Deepak Gupta Updated: Tue, 26 Aug 2025 10:50 AM (IST)
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    पाकिस्तान का पीछा नहीं छोड़ रहे 1971 के पाप

     जेएनएन, ढाका। 13 साल के लंबे अंतराल के बाद पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार की बांग्लादेश यात्रा ने एक बार फिर 1971 के घावों को कुरेद दिया। इस दौरे को लेकर पाकिस्तान में बड़ी उम्मीदें लगाई जा रही थीं कि इससे दोनों देशों के रिश्तों में नया मोड़ आएगा, लेकिन ढाका पहुंचते ही जिस अंदाज में बांग्लादेश ने पुराने मुद्दों को उठाया, उससे साफ हो गया कि रिश्तों की गर्मजोशी सिर्फ दिखावे भर की थी। 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान की सेना द्वारा की गई ज्यादतियों को लेकर माफी की मांग फिर से उठाई गई।

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    डार ने सफाई दी कि 1971 का मामला पहले ही दो बार सुलझाया जा चुका है। पहली बार 1974 में जुल्फिकार अली भुट्टो ढाका गए थे और वहां उन्होंने बांग्लादेश के लोगों से खेद जताया था। दूसरी बार, साल 2000 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने बांग्लादेश के दौरे पर 1971 की घटना के लिए अफसोस जताया था। हालांकि, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने डार के इस दावे को खारिज कर दिया।

    हुसैन ने मीडिया से कहा कि वह डार के दावे से बिल्कुल सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता तो मुद्दे कब के सुलझ चुके होते।

    बांग्लादेश ने पाक के सामने रखीं चार मांगें

    हुसैन ने कहा कि बांग्लादेश ने चार अनसुलझे मुद्दों पर अपना रुख दोहराया है, जिनमें 1971 के नरसंहार के लिए औपचारिक माफी, आजादी से पहले की संपत्तियों के लिए वित्तीय मुआवजा, जो करीब 4.52 अरब डालर बताया जाता है, बांग्लादेश में फंसे पाकिस्तानियों की स्वदेश वापसी और 1970 में आए चक्रवात के पीडि़तों के लिए मिली विदेशी मदद लौटाई जाए। साथ ही हुसैन ने ये भी कहा कि 54 साल पुराने मामले एक दिन की बैठक में हल नहीं होंगे। हमने एक दूसरे की स्थिति साझा की है। द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए इन मुद्दों का हल किया जाना जरूरी है।

    यूनुस की कोशिशें

    मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने बीते एक साल में भारत से ढाका को दूर करते हुए पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के प्रयास किए हैं। यूनुस ने पिछले साल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से दो बार मुलाकात की। ये मुलाकातें न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा और काहिरा में डी-8 शिखर सम्मेलन के दौरान हुईं। इसके बावजूद पाकिस्तान से रिश्ते बेहतर करने में 1971 के अनसुलझे मुद्दे अड़चन बन रहे हैं।

    यूनुस-डार में समझौते

    इशाक डार के ढाका दौरे पर दोनों देशों में कई अहम समझौते हुए हैं। इसमें आधिकारिक और राजनयिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीजा आवश्यकताओं में छूट शामिल है। इसके अलावा दोनों पक्षों ने व्यापार पर संयुक्त कार्य समूह बनाने, विदेश सेवा अकादमियों के बीच सहयोग, राष्ट्रीय समाचार एजेंसियों में सहयोग और थिंक-टैंकों के बीच संस्थागत साझेदारी पर समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।

    पिछली बार पहुंची थीं हिना रब्बानी

    साल 2012 में हिना रब्बानी खार के बाद डार ढाका आने वाले पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्री हैं। उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस, बांग्लादेश नेशनल पार्टी की नेता खालिदा जिया और बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी प्रमुख शफीकुर्रहमान से मुलाकात की।

    क्या हुआ था 1971 में ?

    1971 में 'आपरेशन सर्च लाइट' के तहत पाकिस्तान सेना ने लाखों बांग्लादेशी बंगालियों का जनसंहार किया था। साथ ही करीब तीन लाख महिलाओं से दुष्कर्म के मामले सामने आए थे। 2010 में सबसे ज्यादा खराब थे रिश्ते बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासनकाल के दौरान ढाका और इस्लामाबाद के बीच संबंध सबसे ज्यादा खराब स्थिति में थे। 2010 में अवामी लीग सरकार ने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के सहयोगियों पर मुकदमा शुरू किया था।

    पाकिस्तानी एजेंडा बढ़ा रहे यूनुस

    अवामी लीग पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री के बांग्लादेश दौरे से नाखुशी जताते हुए दावा किया कि मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पाकिस्तान के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। पार्टी ने कहा कि यूनुस शासन देश के मुक्ति संग्राम के इतिहास को तोड़-मरोड़कर जनता के सामने पेश कर रही है ताकि इसे लोगों की याद्दाश्त से मिटाया जा सके। ये जघन्य अपराध है। पार्टी ने कहा कि पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के बयान में जनसंहार का उल्लेख तक नहीं है। वहीं यूनुस सरकार देश की आजादी के राष्ट्रीय संग्राम को छोटा साबित करने में लगी हुई है।

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