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    बंटवारे के बाद पहली बार पाकिस्तान में पढ़ाई जाएगी संस्कृत, कॉलेज के छात्रों पढ़ेंगे महाभारत और गीता

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 11:35 PM (IST)

    विभाजन के बाद पहली बार, पाकिस्तान के एक विश्वविद्यालय में प्राचीन भाषा संस्कृत का पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंटसाइंसेज (ए ...और पढ़ें

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    बंटवारे के बाद पहली बार पाकिस्तान में पढ़ाई जाएगी संस्कृत (फोटो- एक्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विभाजन के बाद पहली बार, पाकिस्तान के एक विश्वविद्यालय में प्राचीन भाषा संस्कृत का पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (एलयूएमएस) ने यह पाठ्यक्रम शुरू किया है, जिसमें महाभारत और गीता जैसी हिंदू पौराणिक कथाओं का अध्ययन भी शामिल होगा। द ट्रिब्यून की रिपोर्ट को अनुसार, यह पहल तीन महीने की वीकेंड वर्कशॉप के परिणामस्वरूप शुरू हुई, जिसमें छात्रों और विद्वानों ने काफी रुचि दिखाई थी।

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    गुरमानी केंद्र के निदेशक डॉ. अली उस्मान कास्मी ने द ट्रिब्यून को बताया कि पाकिस्तान के पंजाब विश्वविद्यालय पुस्तकालय में पाकिस्तान के सबसे समृद्ध लेकिन सबसे उपेक्षित संस्कृत संग्रहों में से एक मौजूद है।

    उन्होंने कहा कि संस्कृत ताड़ के पत्तों की पांडुलिपियों का एक महत्वपूर्ण संग्रह 1930 के दशक में विद्वान जे.सी.आर. वूलनर द्वारा सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन 1947 के बाद से किसी भी पाकिस्तानी शिक्षाविद ने इस संग्रह पर काम नहीं किया है। इसका उपयोग केवल विदेशी शोधकर्ता ही करते हैं। स्थानीय स्तर पर विद्वानों को प्रशिक्षित करने से यह स्थिति बदलेगी।

    द ट्रिब्यून ने इस पहल के केंद्र में मौजूद एसोसिएट प्रोफेसर शाहिद रशीद के हवाले से लिखा कि लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं संस्कृत क्यों सीख रहा हूं। मैं उनसे कहता हूं, हमें इसे क्यों नहीं सीखना चाहिए? यह पूरे क्षेत्र की जोड़ने वाली भाषा है। संस्कृत व्याकरणविद् पाणिनि का गांव इसी क्षेत्र में था। सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान यहां बहुत लेखन कार्य हुआ था। संस्कृत एक पर्वत की तरह हैएक सांस्कृतिक स्मारक। हमें इसे अपनाना चाहिए। यह हमारी भी है; यह किसी एक विशेष धर्म से बंधी नहीं है।

    विश्वविद्यालय महाभारत और भगवद गीता पर आगामी पाठ्यक्रमों के साथ विस्तार करने का भी लक्ष्य रखता है। डॉ. कासमी ने कहा कि 10-15 वर्षों में, हम गीता और महाभारत के पाकिस्तान स्थित विद्वानों को देख सकते हैं। यह बदलाव फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज में समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शाहिद रशीद के प्रयासों से संभव हुआ है।