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    Pakistan Politics: 'PTI ने कभी भी सेना को राजनीति में हस्तक्षेप...', पूर्व राष्ट्रपति ने पाकिस्तानी आर्मी को लेकर किया बड़ा दावा

    By Agency Edited By: Babli Kumari
    Updated: Wed, 29 May 2024 02:38 PM (IST)

    Pakistan Politics पीटीआई नेता और पूर्व राष्ट्रपति आरिफ अल्वी (Ex-Prez Arif Alvi) ने कहा कि उनकी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने सेना को राजनीति में हस्तक्षेप करने के लिए कभी आमंत्रित नहीं किया। हालांकि अल्वी ने यह बात स्वीकार की कि सेना एकमात्र हितधारक है जिसके साथ सार्थक बातचीत संभव है क्योंकि उसके पास निर्णय लेने की शक्ति है।

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    पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आरिफ अल्वी (फाइल फोटो)

    पीटीआई, कराची। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के शीर्ष नेता आरिफ अल्वी ने पार्टी और पाकिस्तानी सेना को लेकर कई खुलासे किए हैं। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने सेना को राजनीति में हस्तक्षेप करने के लिए कभी आमंत्रित नहीं किया। हालांकि, अल्वी ने यह बात स्वीकार की कि सेना एकमात्र हितधारक है जिसके साथ सार्थक बातचीत संभव है क्योंकि उसके पास निर्णय लेने की शक्ति है।

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    अल्वी ने मंगलवार को कराची प्रेस क्लब के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए ये टिप्पणियां कीं। उन्होंने आगे कहा, 'इमरान खान उनसे बात करना चाहते हैं, जिनके पास यह फैसला लेने की शक्ति है। क्या आपको लगता है कि जो लोग फॉर्म 47 के जरिए सत्ता में आए हैं, उनके पास देने के लिए कुछ है? उनके साथ बातचीत करना निरर्थक होगा।'

    'शहबाज शरीफ की सरकार ने परिणामों को फॉर्म 47 में बदला'

    इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का मानना है कि शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार ने फरवरी में हुए चुनावों में अपना जनादेश चुराया और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) को लाभ पहुंचाने के लिए परिणामों को फॉर्म 47 में बदल दिया। अल्वी ने कहा, 'जो लोग एकजुट होना चाहते हैं और संविधान की बहाली एवं सर्वोच्चता के लिए संघर्ष करना चाहते हैं, उन्हें ऐसा करना चाहिए। लेकिन बातचीत केवल उन्हीं के साथ होनी चाहिए जो कुछ पेश कर सकते हैं और कुछ विश्वसनीय मुद्दों को सामने ला सकते हैं।'

    'पाकिस्तान की ऐसी हालत कुछ व्यक्तियों के कारण'

    यह पूछे जाने पर कि क्या ऐसी कवायद 'बिगड़ी राजनीतिक व्यवस्था' को और कमजोर करेगी? उन्होंने इस सवाल पर कहा कि यह सब 'उसी बिगड़ी राजनीतिक व्यवस्था को ठीक करने के प्रयास के तहत किया जा रहा है।' 74 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति ने ढाका के पतन से पहले की घटनाओं के साथ वर्तमान राजनीतिक स्थिति की तुलना करते हुए कहा कि यह पूरी संस्था के बारे में नहीं बल्कि कुछ व्यक्तियों के बारे में है। हालांकि, उन्होंने आगे बढ़ने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि मौजूदा स्थिति किसी को गलत निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।

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