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    पाकिस्तान में इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथों हिंदुओं के उत्पीड़न के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में प्रदर्शन

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Sat, 11 Jul 2020 06:02 AM (IST)

    पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं की दुर्दशा का विरोध करते हुए प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन क ...और पढ़ें

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    पाकिस्तान में इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथों हिंदुओं के उत्पीड़न के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में प्रदर्शन

    जिनेवा, एएनआइ। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं की दुर्दशा का विरोध करते हुए प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। शुक्रवार को उस समय संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का 44वां सत्र चल रहा था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने इमरान खान सरकार का समर्थन प्राप्त इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथों हिंदुओं के उत्पीड़न का जमकर विरोध किया।

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    प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पाकिस्तान में हिंदुओं को बड़े पैमाने पर दरकिनार किया जा रहा है। उनका उत्पीड़न हो रहा है। उनसे भेदभाव किया जा रहा है। धार्मिक आधार पर उनके खिलाफ हिंसा बढ़ती ही जा रही है। हिंदुओं का अपहरण, हमले, यौन अपराध और हत्याएं आम बात है। हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाकर इस अल्पसंख्यक समुदाय को और सीमित और संकुचित किया जा रहा है। पाकिस्तानी सांसद और नेता खुलेआम हिंदुओं के खिलाफ नफरत भरे संदेश जारी करते हैं।

    इसी तरह पाकिस्तानी कट्टरपंथी इस्लामी नेता वहां हिंदुओं के मंदिरों के निर्माण के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान के इस्लामिक देश होने के नाते वहां किसी मंदिर के होने की गुंजाइश नहीं है। हाल ही में सिंध प्रांत में इस्लामिक भीड़ ने हिंदुओं के एक मंदिर पर भीषण हमला कर उसे तहस-नहस कर दिया। ऐसे हमले इस्लामिक कट्टरपंथियों के इशारे पर किए जाते हैं जिन्हें इमरान खान सरकार का समर्थन हासिल है।

    अभी हाल ही में पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने मुल्‍क में मानवाधिकारों के हनन के मामलों को चिंताजनक करार दिया था। आयोग ने कहा था कि पिछले साल जिस तरह की घटनाएं हुईं उनमें राजनीतिक असहमति को दबाने के लिए मानवाधिकारों के खिलाफ जाकर कार्रवाई की गईं। इस दौरान मुख्यधारा के मीडिया पर प्रहार किया गया। फोन और इंटरनेट की निगरानी की गई और सोशल मीडिया पर बंदिशें थोपी गईं। यही नहीं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी हमला हुआ।