Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Pakistan: पाकिस्तान में पत्नी को चरित्रहीन बताने वाले को तालिबानी सजा, कराची सत्र न्यायालय ने सुनाया फैसला

    By Agency Edited By: Sonu Gupta
    Updated: Mon, 08 Apr 2024 11:45 PM (IST)

    पाकिस्तान में भी तालिबान की तर्ज पर दंड दिए जाने का एक मामला सामने आया है। सिंध प्रांत में अपनी पूर्व पत्नी पर चरित्रहीन होने का झूठा आरोप लगाने और उससे जन्म लेने वाली बेटी का पिता होने से इनकार करने वाले व्यक्ति को कराची सत्र न्यायालय ने 80 कोड़े मारने की सजा सुनाई है। सैनिक तानाशाह जियाउल हक के शासनकाल के बाद पाकिस्तान में ऐसी सजा नहीं सुनाई गई।

    Hero Image
    पाकिस्तान में पत्नी को चरित्रहीन बताने वाले को तालिबानी सजा। फाइल फोटो।

    आईएएनएस, कराची। पाकिस्तान में भी तालिबान की तर्ज पर दंड दिए जाने का एक मामला सामने आया है। सिंध प्रांत में अपनी पूर्व पत्नी पर चरित्रहीन होने का झूठा आरोप लगाने और उससे जन्म लेने वाली बेटी का पिता होने से इनकार करने वाले व्यक्ति को कराची सत्र न्यायालय ने 80 कोड़े मारने की सजा सुनाई है। महिला की वकील सायरा बानो ने कहा कि कई दशक बाद पहली बार ऐसी सजा सुनाई गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस अध्यादेश के तहत सुनाई गई सजा

    सैनिक तानाशाह जियाउल हक के शासनकाल के बाद पाकिस्तान में ऐसी सजा नहीं सुनाई गई। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मलीर शहनाज बोहयो ने आरोपित फरीद कादिर को सजा सुनाई। यह विवादास्पद फैसला कजफ अपराध (हद का प्रवर्तन) अध्यादेश 1979 की धारा सात (एक) के तहत सुनाया गया। इस धारा में कहा गया है 'जो कोई भी कजफ के लिए उत्तरदायी होगा, उसे 80 कोड़े मारने की सजा दी जाएगी।'

    भरने होंगे एक लाख रुपये पाकिस्तानी का जमानती बांड

    अपील कोर्ट से दोषी और सजा की पुष्टि के बाद सत्र अदालत कोड़े मारने के लिए समय और स्थान निर्धारित करेगी। सजा भुगतने के लिए निर्धारित समय और स्थान पर उपस्थित होने की सहमति देने के बाद फरीद जमानत पर रह सकता है। उसे एक लाख रुपये पाकिस्तानी का जमानती बांड सौंपने को कहा गया है।

    यह भी पढ़ेंः Financial Fraud Case: केरल सरकार ने करोड़ों की धोखाधड़ी की जांच CBI को सौंपी, अधिकारियों ने योजना की पारदर्शिता पर उठाए सवाल

    यह भी पढ़ेंः स्वच्छ पर्यावरण के बिना जीवन का अधिकार पूरी तरह नहीं होता प्रभावी, SC ने सोन चिड़िया के संरक्षण मामले में की टिप्पणी