पाकिस्तान में जल संकट, लाखों लोग जीवित रहने के लिए कर रहे संघर्ष; चौकानें वाली रिपोर्ट जारी
पाकिस्तान में जल संकट गहरा गया है। इससे लाखों लोगों को गहरे कुएं खोदने और लंबी दूरी तय कर पानी लाने को मजबूर होना पड़ रहा है। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में महिलाएं इस संकट से ज्यादा प्रभावित हैं। यही नहीं, बच्चे प्रदूषित पानी के कारण बड़ी संख्या में बीमार हो रहे हैं। यह संकट केवल ग्रामीण क्षेत्रों में ही नहीं है, बल्कि शहरों में भी है।

पाकिस्तान में जल संकट गहरा गया है (फोटो- रॉयटर)
आइएएनएस, इस्लामाबाद। पाकिस्तान में जल संकट गहरा गया है। इससे लाखों लोगों को गहरे कुएं खोदने और लंबी दूरी तय कर पानी लाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
सूखा प्रभावित क्षेत्रों में महिलाएं इस संकट से ज्यादा प्रभावित हैं। यही नहीं, बच्चे प्रदूषित पानी के कारण बड़ी संख्या में बीमार हो रहे हैं। यह संकट केवल ग्रामीण क्षेत्रों में ही नहीं है, बल्कि शहरों में भी है।
पाकिस्तान दूसरों पर फोड़ता है ठीकरा
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी सरकार और नेता जल संकट के मामले में स्वयं की कमियों को नजरअंदाज करते हुए इसका ठीकरा दूसरों के ऊपर फोड़ते रहते हैं। वे सिंधु जल संधि को निलंबित करने के लिए या तो भारत को या फिर अफगानिस्तान को कोसते रहते हैं।
पाकिस्तान एक विनाशकारी जल संकट के कगार पर
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान एक विनाशकारी जल संकट के कगार पर है। यह संकट जल का उचित प्रबंधन न होना, सरकारी तंत्र की उदासीनता और राजनीतिक भटकाव के कारण उत्पन्न हुआ है।
विश्व बैंक के अनुसार, पाकिस्तान दुनिया के सबसे ज्यादा जल की कमी वाले देशों में से एक है। पाकिस्तान का जल संकट गलत प्रबंधन का परिणाम है, न कि एक अपरिहार्य प्राकृतिक आपदा।
पाकिस्तान के जल प्रबंधन में महत्वपूर्ण खामियां
रिपोर्ट के अनुसार, गंभीर जल संकट के बावजूद पाकिस्तानी सरकार इस मामले को लेकर उदासीन बनी हुई है। दीर्घकालिक जल नीति, एकीकृत सूखा पूर्व चेतावनी प्रणाली और बुनियादी ढांचे में निवेश की बहुत कमी है। अंतरराष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान के विश्लेषण ने पाकिस्तान के जल प्रबंधन में महत्वपूर्ण खामियों को उजागर किया है।
राजनीतिक दल जल संकट पर ध्यान नहीं दे रहे
खास बात यह है कि पाकिस्तान की मीडिया भी इस मुद्दे को प्रमुखता से नहीं उठाती। केवल राजनीतिक मुद्दों पर ही कार्यक्रम किए जाते हैं। यहां के राजनीतिक दल जल संकट पर ध्यान नहीं दे रहे। वे हमेशा केवल राजनीतिक लाभ लेने के जुगाड़ में लगे रहते हैं।

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