'आतंकवाद विरोधी कानूनों के दुरुपयोग से बलूचों को दबा रहा पाकिस्तान', एमनेस्टी इंटरनेशनल ने शहबाज सरकार पर लगाए आरोप
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बलूचिस्तान सरकार की निंदा की है, जिसने पाकिस्तान के आतंकी निगरानी सूची में 32 व्यक्तियों को शामिल किया है, जिनमें प्रमुख बलूच अधिकार रक्षक भी शामिल हैं। यह कदम आतंकवाद विरोधी अधिनियम (एटीए) 1997 की धारा 11-ईई के तहत उठाया गया है। इस कदम को उचित प्रक्रिया और मौलिक स्वतंत्रताओं का गंभीर उल्लंघन बताया गया है।

'आतंकवाद विरोधी कानूनों के दुरुपयोग से बलूचों को दबा रहा पाकिस्तान'- एमनेस्टी इंटरनेशनल (फोटो- एक्स)
एएनआई, बलूचिस्तान। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बलूचिस्तान सरकार की निंदा की है, जिसने पाकिस्तान के आतंकी निगरानी सूची में 32 व्यक्तियों को शामिल किया है, जिनमें प्रमुख बलूच अधिकार रक्षक भी शामिल हैं।
यह कदम आतंकवाद विरोधी अधिनियम (एटीए) 1997 की धारा 11-ईई के तहत उठाया गया है। इस कदम को उचित प्रक्रिया और मौलिक स्वतंत्रताओं का गंभीर उल्लंघन बताया गया है।
द बलूचिस्तान पोस्ट के अनुसार, एमनेस्टी के दक्षिण एशिया के उप क्षेत्रीय निदेशक बाबू राम पंत ने अपने बयान में कहा कि कार्यकर्ताओं को बिना निर्णय को चुनौती देने की अनुमति दिए चौथी अनुसूची में मनमाने तरीके से जोड़ा गया है।
पंत ने कहा, ''कानूनी उपायों के बिना शांतिपूर्ण बलूच कार्यकर्ताओं को आतंकी के रूप में सूचीबद्ध करना उनके स्वतंत्रता, गोपनीयता और आंदोलन के मौलिक अधिकारों को कमजोर करता है।''
इस वैश्विक अधिकार संगठन ने बार-बार पाकिस्तान के व्यापक आतंकवाद विरोधी कानूनों पर चिंता व्यक्त की है, जो अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों के अनुरूप नहीं हैं।
एमनेस्टी ने कहा कि ये कानून राज्य संस्थाओं को अत्यधिक अधिकार प्रदान करते हैं और असहमति को दबाने और आलोचनात्मक आवाजों को चुप कराने के लिए नियमित रूप से हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं।

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