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    पाक की बढ़ी मुसीबत, अब पीओके के पश्तूनों ने इमरान के खिलाफ खोला मोर्चा, सड़क पर उतरे

    By Vinay TiwariEdited By:
    Updated: Tue, 10 Sep 2019 04:38 PM (IST)

    पीओके में रहने वाले पश्तून भी अब इमरान सरकार के खिलाफ हो गए हैं। उन्होंने पीओके में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। ...और पढ़ें

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    पाक की बढ़ी मुसीबत, अब पीओके के पश्तूनों ने इमरान के खिलाफ खोला मोर्चा, सड़क पर उतरे

    नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से बौखलाया पाकिस्तान तमाम देशों से इस बारे में मदद मांगकर थक चुका है। अमेरिका से मध्यस्थता की मांग भी कर चुका है मगर भारत ने इस मामले में किसी से भी मध्यस्थता करना स्वीकार नहीं किया है। किसी भी देश से समर्थन ना मिलता देख पाक के तमाम नेता बौखलाए हुए हैं। अब इसी बीच में अब पीओके और बलूचों के बाद अब पश्तूनों ने भी खुल्लम खुल्ला जंग का ऐलान कर दिया है। पश्तून लगातार सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। ये पश्तून इमरान खान और बाजवा के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं।

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    पाकिस्तानी आर्मी ढाती रही जुल्म 
    ये लोग पाकिस्तानी हुक्मरानों की बर्बरता के सबसे बड़े सबूत हैं। इनके हक को पाकिस्तानी आर्मी ने कभी नहीं दिया, इनके साथ बहुत ही बुरा बर्ताव किया गया है। पाकिस्तान के सरकारी बंदूक धारियों ने इन पर जुल्म ढाए हैं। अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़े होने वाले इन लोगों को पाकिस्तान में पश्तून कहा जाता है। कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद पाकिस्तान पागलपन की हदें पार कर रहा है। इमरान खान ने हर हथकंडा अपना लिया है लेकिन उन्हें कहीं से भी किसी का सपोर्ट नहीं मिल रहा और अब तो इमरान को ये डर भी सता रहा है कि कहीं पीओके पाकिस्तान के हाथ से न निकल जाए।

     

    पश्तूनों का सबसे बड़ा नेता है मंजूर अहमद पश्तीन 
    मंजूर अहमद पश्तीन सिर्फ 25 साल का है और वो पीओके में पश्तूनों का सबसे बड़ा नेता है। गरीब पश्तून खानदान में जन्मे मंजूर पश्तीन महसूद कबीले से ताल्लुक रखता है। पाकिस्तानी सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ बने संगठन पश्तून प्रोटेक्शन मूवमेंट का नेता भी है। मंजूर पश्तीन जब लाखों लोगों की आवाज बनकर बोलते हैं तो पाकिस्तानी हुकूमत की नींव हिल जाती है।

    पाकिस्तान में अघोषित पाबंदी 
    पश्तूनों की सच्चाई पाकिस्तानी हुक्मरानों को चैन से सोने नहीं देती, इस वजह से वो मंजूर के भाषण के एक-एक शब्द से खौफ खाते हैं। मंजूर की इस आवाज़ पर पूरे पाकिस्तान में अघोषित पाबंदी है। इमरान खान ने मंजूर पर पाबंदी लगा रखी है। पाकिस्तान के किसी भी न्यूज़ चैनल पर मंजूर पश्तीन की स्पीच नहीं दिखाई जाती, इसी तरह से वहां के किसी भी अख़बार में मंजूर की खबर नहीं छपती।

    जानिए पश्तूनों के बारे में मुख्य बातें
    पाकिस्तान के अफगानिस्तान से सटी सीमा पर दक्षिण वजरीस्तान में पश्तून रहते हैं, यह इलाका फेडरल एडमिनिस्टर्ड ट्राइबल एरिया यानी फाटा के अंतर्गत आता है, यहां पर बड़ी संख्या में पाकिस्तानी आर्मी के जवान तैनात रहते हैं, पाकिस्तानी आर्मी पश्तून महिलाओं के साथ हैवानियत करती है, पश्तुन नौजवानों को घर से उठाकर गोलियां मार देते हैं, ज्यादार इलाकों में लैंडमाइन बिछाकर रखते हैं, जिससे पश्तूनों की मौत होती है।

    पिछले एक दशक में हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं, जबकि हजारों पश्तून बेघर हो चुके हैं। पाकिस्तानी आर्मी और वायुसेना के हमलों की वजह से हजारों पाकिस्तानी पश्तून देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर हो गए। करीब 8 हजार पश्तून लोग अब तक लापता हो चुके हैं। हर एक पश्तूनों को पाकिस्तान में शक के नज़रिए से देखा जाता है। पश्तूनों के लिए पाकिस्तान में सांस लेना तक मुश्किल है।

     

    ये है पश्तूनों की मांग 
    पिछले 10 सालों में पाकिस्तानी आर्मी ने जिन सैकड़ों पश्तूनों को आतंकी कहकर गायब किया है, उन सभी को अदालत में पेश करे। अफगान सीमा से लगे कबायली इलाकों में अंग्रेजों के दौर का काला कानून एफसीआर खत्म करे सरकार। दूसरे कबायली इलाकों को वही बुनियादी हक दिए जाएं जो लाहौर, कराची और इस्लामाबाद के नागरिकों को हासिल हैं। पाकिस्तानी फौजियों की वजह से जो घर और कारोबार तबाह हुए उनका मुआवज़ा दिया जाए। 

    मांगों से परेशान इमरान खान और आर्मी चीफ 
    इन्हीं मांगों की वजह से इमरान खान और आर्मी चीफ बाजवा परेशान है, हालांकि हुकूमत की बर्बरता के बावजूद मंजूर पश्तीन अपनी सरकार को चैलेंज करते हैं। इन पश्तूनों से इमरान खान इतने डरे हुए हैं कि मंजूर पश्तीन के जलसे को रोकने के लिए पूरी सरकारी व्यवस्था करके रखते हैं। जहां-जहां इन पश्तूनों की रैलियां होती है वहां पर पहले से ही उनको रोकने के लिए इंतजाम कर दिए जाते हैं। इसी साल मई के आखिरी हफ्ते में निहत्थे पश्तून प्रदर्शनकारियों को पाकिस्तानी सेना ने गोलियों सो भून दिया था।