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    TLP पर कार्रवाई से पाकिस्तान में बढ़ रहा सियासी संकट, समाज और सरकार के बीच दरारें उजागर

    Updated: Tue, 21 Oct 2025 11:30 PM (IST)

    टीएलपी के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों ने पाकिस्तान को अराजकता में धकेल दिया है, जिससे सरकार और समाज के बीच दरार बढ़ गई है। सरकार के कड़े कदमों से सामाजिक ताने-बाने और पश्चिमी देशों से रिश्ते बिगड़ने का खतरा है। हिंसा में कई लोगों की जान गई है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान में छद्म युद्ध छेड़ने की साजिश रच रहा है, जिससे दोनों देशों में तनाव बढ़ रहा है।

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    पाकिस्तान में राजनीतिक संकट गहराया (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस्लामी कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के नेतृत्व में हुए हालिया विरोध-प्रदर्शनों ने एक बार फिर देश को राजनीतिक अराजकता की स्थिति में धकेल दिया है। इससे समाज और सरकार के बीच गहरी दरारें उजागर हुई हैं और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ पाकिस्तान के संबंध खतरे में पड़ गए हैं।

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    एथेंस स्थित जियोपोलिटिको की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इन विरोध-प्रदर्शनों से निपटने के पाकिस्तानी सरकार के तरीके से देश के भीतर बढ़ते संकट का पता चलता है। यह संकट देशभर में हिंसा, दमन और रणनीतिक चूकों के बीच पनप रहा है।

    उठाने होंगे कड़ कदम

    रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी हालांकि इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अराजकता को रोकने के लिए कड़े कदम जरूरी तो हैं, लेकिन इससे पाकिस्तान के सामाजिक ताने-बाने, लोकतांत्रिक प्रतिष्ठा और पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को होने वाला नुकसान स्पष्ट है।

    पिछले हफ्ते पंजाब प्रांत में टीएलपी समर्थकों और राज्य सुरक्षा एजेंसियों के बीच हिंसक झड़पों में कानून प्रवर्तन अधिकारियों सहित एक दर्जन से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। अधिकारियों ने विरोध-प्रदर्शनों से निपटने के लिए आक्रामक कदम उठाए थे।

    रिपोर्ट में कहा गया है, ''इस अशांति के परिणाम तात्कालिक रक्तपात से कहीं आगे तक पहुंच सकते हैं, जिसका असर पाकिस्तान की घरेलू स्थिरता और पश्चिमी देशों के साथ उसके संबंधों पर भी दिखाई दे रहा है।'' हिंसा का यह दौर तब शुरू हुआ जब टीएलपी ने इस्लामाबाद तक ''लब्बैक या अक्सा मिलियन मार्च'' का आह्वान किया। इस संगठन ने फलस्तीन समर्थक नीतियों और पश्चिमी राजनयिक हितों के खिलाफ सरकारी कार्रवाई का आह्वान किया।

    की अंधाधुंध गोलीबारी

    इसके समर्थक लाहौर के पास इकट्ठा हुए और वे गाजा संघर्ष के प्रति पश्चिमी दृष्टिकोण के विरोध में राजधानी स्थित अमेरिकी दूतावास पहुंचना चाहते थे। प्रदर्शनकारियों ने जमकर पथराव किया और सार्वजनिक वाहनों में आग लगा दी। उन्होंने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें नागरिक और सुरक्षाकर्मी दोनों मारे गए और कई घायल हुए।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि जब तक सार्वजनिक व्यवस्था और जिम्मेदाराना सहभागिता के बीच संतुलन बनाने वाले नए तरीके नहीं अपनाए जाते, पाकिस्तान खुद को विरोध और दमन के अंतहीन चक्र में फंसा हुआ पा सकता है। इससे घरेलू स्थिरता और बाहरी विश्वसनीयता दोनों ही नष्ट हो जाएगी।

    तालिबान का मुकाबला करने के लिए छद्म युद्ध छेड़ने की साजिश

    तालिबान का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान में अपनी दशकों पुरानी भागीदारी के तहत एक और छद्म युद्ध छेड़ने की साजिश रच रहा है। हाल ही में आई कई मीडिया रिपोर्टों से पता चला है कि इस्लामाबाद अफगानिस्तान में विपक्ष को अपने क्षेत्र में एक कार्यालय खोलने की अनुमति देने की योजना बना रहा है।

    इस कदम को अफगानिस्तान में तालिबान शासन को कमजोर करने के प्रत्यक्ष प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब अफगानिस्तान की धरती पर इस्लामाबाद के हवाई हमलों और अफगान शरणार्थियों के बड़े पैमाने पर निर्वासन के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ रहा है।