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    पाकिस्तान: 1,817 मंदिरों और गुरुद्वारों में से सिर्फ 37 में हो रही पूजा, रिपोर्ट्स में चौंकाने वाला खुलासा

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 11:30 PM (IST)

    पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति चिंताजनक है। एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के 1,817 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से केवल 37 में ही पूजा-अर्चन ...और पढ़ें

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    पाकिस्तान में 1,817 में से केवल 37 मंदिरों में पूजा। सांकेतिक इमेज

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पड़ोसी देश पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार बढ़ रहे हैं और उनकी आबादी भी निरंतर घटती जा रही है। अब सरकारी उदासीनता को उजागर करने वाली एक ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि देशभर में 1,817 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से केवल 37 में ही पूजा-अर्चना हो रही है।

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    अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित संसदीय समिति के समक्ष प्रस्तुत रिपोर्ट के आंकड़े एक गंभीर वास्तविकता को उजागर करते हैं। खराब सरकारी रखरखाव और हिंदू तथा सिख समुदायों की घटती आबादी के कारण सदियों पुराने पूजा स्थलों की स्थिति बदतर होती जा रही है।

    1,817 में से केवल 37 मंदिरों में पूजा

    प्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक 'डान' के अनुसार, संसदीय समिति के पहले सत्र के दौरान संसद सदस्य दानेश कुमार ने संकल्प दोहराया कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के संवैधानिक वादों को मूर्त रूप देने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि पाकिस्तान के अल्पसंख्यक ''संवैधानिक गारंटियों के व्यावहारिक कार्यान्वयन'' के हकदार हैं।

    कुमार ने न्याय एवं समानता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल नीतिगत सुधारों की भी मांग की। सत्र के दौरान पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के वरिष्ठ अधिकारी व पूर्व मंत्री डा. रमेश कुमार वंकवानी ने इवैक्यूई ट्रस्ट प्रापर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) की अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले मंदिरों और गुरुद्वारों की देखभाल करने में विफल रहने के लिए कड़ी आलोचना की।

    सरकारी उदासीनता से पूजा स्थलों की दुर्दशा

    उन्होंने मांग की कि ईटीपीबी का नेतृत्व किसी गैर-मुस्लिम को सौंपा जाए, तभी उपेक्षित धार्मिक संपत्तियों का जीर्णोद्धार ईमानदारी से किया जा सकेगा। समिति ने इन धरोहर स्थलों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की भी सिफारिश की, जो न केवल धार्मिक महत्व बल्कि पाकिस्तान के बहुसांस्कृतिक अतीत का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।

    संसद सदस्य केसू मल खेल दास ने कहा कि 1947 के विभाजन के बाद अधिकांश मंदिर और गुरुद्वारे वीरान हो गए हैं क्योंकि स्थानीय हिंदू और सिख समुदाय के लोग भारत चले गए थे। उन्होंने कहा कि सरकार को इन संरचनाओं को सांस्कृतिक स्थलों के रूप में संरक्षित करना चाहिए और इन्हें पाकिस्तान के भीतर और बाहर से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए खोलना चाहिए।

    2025 में पाकिस्तान में आतंकी घटनाओं में 25 फीसद की वृद्धि

    पाकिस्तान में 2025 में पिछले वर्ष की तुलना में आतंकी हिंसा संबंधी घटनाओं में 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। खैबर पख्तूनख्वा सबसे अधिक प्रभावित प्रांत रहा। इस्लामाबाद स्थित सेंटर फार रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज (सीआरएसएस) के अनुसार, जनवरी से नवंबर, 2025 तक दर्ज की गई कुल 3,187 मौतों में से 96 प्रतिशत से अधिक मौतें खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में हुईं। हिंसा की 92 प्रतिशत घटनाएं भी इन्हीं दो प्रांतों में हुईं।

    रिपोर्ट में कहा गया है, 'नवंबर तक आतंकी हिंसा में कुल 25 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। इसके परिणामस्वरूप 3,187 मौतें हुईं, जबकि 2024 में हताहतों की संख्या 2,546 थी।'

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)