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    धार्मिक पवित्रता के बहाने जबरन वसूली का गंदा खेल, पाकिस्तान में ईश निंदा के अपराध में ऐसे फंसाए जा रहे लोग

    पाकिस्तान में ऑनलाइन चैट के कारण ईशनिंदा के आरोप में लोगों को जेल भेजा जा रहा है। पीड़ितों के अनुसार उन्हें जबरन वसूली करने वाले या गिरफ्तारी की संख्या बढ़ाने वाले लोगों ने फंसाया। मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि ईशनिंदा के मामलों का बढ़ना धार्मिक समूहों के लिए समर्थन जुटाने का एक तरीका है।

    By Digital Desk Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Mon, 25 Aug 2025 07:15 AM (IST)
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    यह धार्मिक पवित्रता की रक्षा के बहाने धन जुटाने का एक तरीका है (फोटो: रॉयटर्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान में ऑनलाइन चैट के कारण ईशनिंदा के अपराध में लोग जेल भेजे जा रहे हैं। कई अभियुक्तों का कहना है कि उन्हें ऑनलाइन ऐसे लोगों ने फंसाया था जो उनसे जबरन वसूली करना चाहते थे या ईशनिंदा के आरोपों में गिरफ्तारियों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर बताना चाहते थे।

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    उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में ईशनिंदा के लिए मौत की सजा हो सकती है, लेकिन अभी तक किसी को इसके लिए फांसी दी नहीं गई है। मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि ईशनिंदा के बढ़ते मामलों को दर्शाना (चाहे वह कृत्रिम हों या नहीं) इस्लामी समूहों के लिए धार्मिक पवित्रता की रक्षा के बहाने जनता का समर्थन जुटाने और धन जुटाने का एक तरीका है।

    ऑनलाइन ईशनिंदा के लिए गिरफ्तारियों में तेज वृद्धि

    अभियुक्तों के परिवारों, कानून विशेषज्ञों, मानवाधिकार के पैरोकारों एवं कुछ अधिकारियों के साथ साक्षात्कार के साथ ही सरकारी रिपोर्टों की समीक्षा से भी इससे जुड़े कानूनों के दुरुपयोग का संकेत मिलता है। सरकारी मानवाधिकार संस्था द्वारा पिछले वर्ष अक्टूबर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में ऑनलाइन ईशनिंदा के लिए गिरफ्तारियों में तेज वृद्धि दर्ज की गई थी। इसके मुताबिक 2020 में 11, 2021 में नौ और 2022 में 64 गिरफ्तारियां हुई थीं।

    इसके बाद ईशनिंदा के लिए सजाओं में संशोधन किया गया। इसके बाद गिरफ्तारियों में भारी वृद्धि हुई। 2023 में यह संख्या 213 और 2024 के पहले सात महीनों में 767 तक पहुंच गई। ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार लोग अक्सर मुकदमा शुरू होने से पहले महीनों जेल में सड़ते रहते हैं। मानवाधिकार संगठन 'सेंटर फॉर सोशल जस्टिस पाकिस्तान' के कार्यकारी निदेशक पीटर जैकब ने कहा कि मामलों की तलाशने और दोषी ठहराने के आक्रामक प्रयास ईशनिंदा कानूनों के बढ़ते राजनीतिकरण को दर्शाते हैं।

    ईशनिंदा पाकिस्तान पर विधि आयोग जैसे समूह इस बात से इन्कार करते हैं। उनका कहना है कि आनलाइन ईशनिंदा के वास्तविक मामलों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील राव अब्दुर रहीम ने हाल ही में कहा, ''इससे पहले हमने इस्लाम, पवित्र कुरान, पैगंबर मुहम्मद और अन्य श्रद्धेय हस्तियों का इतना घिनौना अपमान कभी नहीं देखा।''

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