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    Pakistan New PM: नवाज शरीफ के लिए बिलावल ने छोड़ा मैदान, शहबाज बोले- नवाज शरीफ एकमात्र और सशक्त PM दावेदार

    By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey
    Updated: Tue, 13 Feb 2024 11:54 PM (IST)

    पाकिस्तान में नवाज शरीफ के चौथी बार प्रधानमंत्री बनने की रूपरेखा तैयार हो गई है और अब वही देश का नेतृत्व करेंगे। छोटे भाई और पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पार्टी की ओर से इस आशय की पुष्टि कर दी। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि उनकी पार्टी को सरकार बनाने का जनादेश नहीं मिला है इसलिए वह प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी नहीं करेगी।

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    नवाज शरीफ के लिए बिलावल ने छोड़ा मैदान। (फोटो, रॉयटर्स)

    पीटीआई, लाहौर। पाकिस्तान में नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) के चौथी बार प्रधानमंत्री बनने की रूपरेखा तैयार हो गई है और अब वही देश का नेतृत्व करेंगे। छोटे भाई और पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मंगलवार को पार्टी की ओर से इस आशय की पुष्टि कर दी। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के प्रमुख बिलावल भुट्टो (Bilawal Bhutto) जरदारी ने कहा कि उनकी पार्टी को सरकार बनाने का जनादेश नहीं मिला है, इसलिए वह प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी नहीं करेगी।

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    बिलावल ने कहा कि उनकी पार्टी पीएमएल-एन की सरकार का समर्थन करेगी लेकिन उसमें शामिल नहीं होगी। दो दिन चली पार्टी की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद भुट्टो ने यह बात कही है। जबकि इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (PTI) विपक्ष में बैठने की इच्छा पहले ही जता चुकी है। ऐसे में सेना के समर्थन से नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता फिलहाल साफ नजर आ रहा है।

    दोबारा मतदान की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

    वैसे चुनाव में धांधली की शिकायत और पुन: मतदान की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हो चुकी है। पीएमएल एन नेता शहबाज शरीफ ने चुनाव में धांधली के आरोप को खारिज किया है। कहा, अगर धांधली होती तो इतनी बड़ी संख्या में निर्दलीय प्रत्याशी कैसे जीतते और उनकी पार्टी को कम सीटें क्यों मिलतीं?

    नवाज शरीफ एकमात्र और सशक्त दावेदार- शहबाज

    प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी से इनकार करते हुए शहबाज ने कहा कि पार्टी की ओर से नवाज शरीफ एकमात्र और सशक्त दावेदार हैं, वही देश के अगले प्रधानमंत्री होंगे। 74 वर्षीय नवाज शरीफ पहली बार 1990 में प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद वह 1997 और 2013 में क्रमश: दूसरी और तीसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे। तीसरी बार प्रधानमंत्री रहने के दौरान ही नवाज पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उसके उन्हें संसद की सदस्यता के अयोग्य ठहराया गया।

    नवाज को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था

    इसके बाद नवाज को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। जबकि पीएमएल एन नेता शहबाज शरीफ इमरान सरकार के हटने के बाद अप्रैल 2022 से 16 महीने तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे थे। शहबाज ने कहा, यदि पीटीआई समर्थित सांसदों के पास अगर बहुमत है तो वे सरकार बनाएं, उस स्थिति में हम विपक्ष में बैठने के लिए तैयार हैं। अगर वे सरकार बनाने में विफल रहते हैं तो पीएमएल एन समान विचारधारा वाली पीपीपी, एमक्यूएम और जेयूआइ-एफ के साथ मिलकर सरकार बनाएगी।

    पीटीआई समर्थित सांसद मलिक भी नवाज के साथ

    जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को उनकी पार्टी पीटीआई के समर्थन से जीते एक और सांसद ने गच्चा दे दिया है। एनए 54 सीट से जीते बैरिस्टर अकील मलिक ने नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल एन में शामिल होने की घोषणा की है। इससे पहले लाहौर से जीते पीटीआई समर्थित वसीम कादिर और एक अन्य निर्दलीय सांसद भी पीएलएम एन में शामिल हो चुके हैं। उन्हें मिलाकर नेशनल असेंबली में नवाज समर्थक सांसदों की संख्या 78 हो गई है।

    इमरान ने कहा, एमडब्ल्यूएम के सदस्य बनें सांसद

    इमरान खान ने जेल से भेजे संदेश में पीटीआई के समर्थन से नेशनल असेंबली (संसद) के लिए चुने गए निर्दलीय सांसदों को मजलिस-ए-वाहदत-ए-मुस्लिमीन (एमडब्ल्यूएम) में शामिल होने के लिए कहा है। सन 2009 में बनी एमडब्ल्यूएम का हाल के चुनाव में जीतकर एक प्रत्याशी नेशनल असेंबली में पहुंचा है। नेशनल असेंबली की 70 नामित सीटों को भरने की प्रक्रिया में रजिस्टर्ड पार्टी ही शामिल हो सकती है, इसलिए इमरान ने अपने समर्थक सांसदों को अल्पज्ञात दल की सदस्यता लेने के लिए कहा है।

    इसलिए पीटीआई समर्थक निर्दलीय चुनाव लड़े थे

    उल्लेखनीय है कि इमरान की गिरफ्तारी के बाद समर्थकों द्वारा नौ मई, 2023 को सैन्य ठिकानों पर हमलों के चलते पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के पदाधिकारियों को राष्ट्रद्रोह, आतंक फैलाने जैसी गंभीर धाराओं में आरोपित किया गया था। उसी के बाद पीटीआई की गतिविधियों पर रोक लगा दी गई और उसके चुनाव चिह्न क्रिकेट बैट के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी गई। इसी के चलते पार्टी समर्थक निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े थे।

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