पाक नेता का विवादित बयान लश्कर उप प्रमुख का समर्थन, पहलगाम हमले पर उठाए सवाल
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के नेता मलिक अहमद खान ने लश्कर-ए-तैयबा के उप प्रमुख सैफुल्लाह कसूरी का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि बिना जांच के उन्हें आरोपित नहीं मानना चाहिए। खान ने जमात-उद-दावा के नेताओं के साथ मंच साझा किया और भारत के खिलाफ नफरती भाषण दिया। उन्होंने पहलगाम हमले को फाल्स फ्लैग ऑपरेशन बताया और भारत से सबूत देने को कहा।
पीटीआई, लाहौर। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेता एवं पंजाब विधानसभा अध्यक्ष मलिक अहमद खान ने पहलगाम आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंडों में से एक लश्कर-ए-तैयबा के उप प्रमुख सैफुल्लाह कसूरी का समर्थन करते हुए कहा कि बिना जांच के उन्हें आरोपित के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
खान ने मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के नेतृत्व वाले प्रतिबंधित संगठन द्वारा आयोजित एक रैली में जमात-उद-दावा के शीर्ष नेताओं के साथ मंच साझा किया। खान के कथित तौर पर सेना के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। उन्होंने 28 मई को लाहौर के कसूर इलाके की रैली में भाग लिया और भारत के खिलाफ नफरती भाषण दिया और पहलगाम आतंकवादी हमले को ''फाल्स फ्लैग आपरेशन' (झूठा अभियान) करार दिया।
उन्होंने जमात-उद-दावा के नेताओं सैफुल्लाह कसूरी, हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद और कई अन्य लोगों के साथ मंच साझा किया। इसमें कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के प्रमुख साद हुसैन रिजवी भी मौजूद थे। पत्रकारों द्वारा रैली में सैफुल्लाह की मौजूदगी के बारे में पूछे जाने पर खान ने सवाल किया कि ''बिना सबूत के वह संदिग्ध कैसे हो सकते हैं?''
खान ने दावा किया, ''पाकिस्तान ने भारत से पहलगाम घटना में अपनी संलिप्तता के सबूत देने को कहा था। लेकिन, उसने ऐसा नहीं किया। हमने एक तटस्थ अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा जांच के लिए की पेशकश भी की थी, जिसे भारत ने अस्वीकार कर दिया। उसने पाकिस्तान पर हमला करना पसंद किया।'' रैली में अपनी उपस्थिति को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा कि यह उनके निर्वाचन क्षेत्र में आयोजित की गई थी और मंच से उन्होंने शांति का संदेश फैलाया।
''फाल्स फ्लैग आपरेशन' एक ऐसी सैन्य कार्रवाई मानी जाती है जहां कोई देश जानबूझकरर स्वयं की संपत्ति, इंसानी जान को नुकसान पहुंचाता है, जबकि दुनिया के सामने वह यह बताता है कि उसके दुश्मन देश ने ऐसा किया है। इसकी आड़ में ऐसा करने वाला देश अपने शत्रु देश पर हमला कर देता है। इस रणनीति के जरिए युद्ध शुरू करने का दोष अपने प्रतिद्वंद्वी देश पर डाल दिया जाता है और फिर जवाबी कार्रवाई के नाम पर युद्ध का ऐलान कर दिया जाता है।
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