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    ऑपरेशन सिंदूर का दर्द अब तक झेल रहा पाकिस्तान, तिरपाल से ढका मुरीद एयरबेस; क्या चल रहा है अंदर?

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 04:49 PM (IST)

    भारतीय वायुसेना के हमले के सात महीने बाद, पाकिस्तान के मुरीद एयरबेस पर मरम्मत का काम शुरू हो गया है। गूगल मैप से मिली तस्वीरों में एक कमांड और कंट्रोल ...और पढ़ें

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    ऑपरेशन सिंदूर का जख्म तिरपाल से ढंक रहा पाकिस्तान मुरीद एयरबेस पूरी तरह से कवर (फोटो सोर्स- गूगल मैप)

    स्मार्ट व्यू- पूरी खबर, कम शब्दों में

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान के मुरीद एयरबेस पर भारतीय वायुसेना (IAF) के हमले के सात महीने बाद वहां बड़े पैमाने पर मरम्मत और पुनर्निर्माण का काम शुरू हो गया है। गूगल मैप से मिली नई हाई-रिजॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों में एक अहम कमांड और कंट्रोल बिल्डिंग पूरी तरह तिरपाल से ढंकी दिखाई दे रही है, जिसे मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान निशाना बनाया गया था।

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    तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि मुरीद एयरबेस की वह इमारत, जो पाकिस्तान के ड्रोन संचालन परिसर के पास है अब पूरी तरह बड़े तिरपाल से ढंकी हुई है। भारतीय वायुसेना के हमले में इस इमारत की छत का कुछ हिस्सा गिर गया था। माना जाता है कि स्ट्राइक से इमारत को भारी नुकसान हुआ था और अंदरूनी हिस्सों में भी तबाही हुई थी।

    पूरी तरह से ढंकी इमारत

    हमले के बाद जून महीने की तस्वीरों में इमारत के सिर्फ एक हिस्से पर हरा तिरपाल दिखाई दिया था। उस समय नुकसान का आकलन किया जा रहा था। अब पूरी इमारत को बड़े तिरपाल और निर्माण जाल से ढंक दिया गया है, जिससे साफ है कि अब मरम्मत या पुनर्निर्माण का काम शुरू हो चुका है। सेनाएं अक्सर ऐसे भारी तिरपालों का इस्तेमाल सैटेलाइट निगरानी से नुकसान छिपाने, मलबा हटाने या संवेदनशील मरम्मत कार्य को ढंकने के लिए करती हैं।

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    भारतीय वायुसेना ने यह कभी नहीं बताया कि मुरीद एयरबेस पर कौन सा हथियार इस्तेमाल किया गया। हालांकि, हमले के बाद की तस्वीरों को देखने के बाद विशेषज्ञों का मानना है कि छत को भेदने वाले विशेष मिसाइल हथियार (पैनेट्रेटर वारहेड) का इस्तेमाल हो सकता है। ऐसे हथियार तेज रफ्तार से छत को तोड़ते हैं, अंदर घुसने के बाद देर से विस्फोट करते हैं, जिससे इमारत के भीतर ज्यादा नुकसान होता है।

    मुरीद एयरबेस क्यों है अहम?

    पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित PAF बेस मुरीद पाकिस्तान वायुसेना का अहम केंद्र है। यहां से ड्रोन और मानवरहित लड़ाकू विमान (UCAV) संचालित होते हैं। इनमें शाहपर, बुर्राक, तुर्किये के बायरकतर TB2/अकिनजी और चीनी विंग लूंग-II जैसे ड्रोन शामिल हैं।

    10 मई की सुबह, जब पाकिस्तान के DGMO मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने भारत के DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से सीजफायर की बात की, उससे कुछ घंटे पहले भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कई एयरबेस पर हमले तेज कर दिए थे। भारत ने यह कार्रवाई पाकिस्तान की ओर से 26 से अधिक जगहों पर ड्रोन घुसपैठ के जवाब में की थी।

    अन्य पाक एयरबेस पर भी मरम्मत

    मई में IAF हमलों के बाद पाकिस्तान के कई एयरबेस पर मरम्मत का काम चल रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान एयरफोर्स के सरगोधा के मुशाफ एयरबेस और रहीम यार खान के रनवे भी क्षतिग्रस्त हुए थे, जिन्हें अब ठीक कर लिया गया है।

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    जैकबाबाद, भोलारी और सुक्कुर में हैंगर तबाह हुए थे। भारतीय वायुसेना का मानना है कि जैकबाबाद में F-16 लड़ाकू विमान नष्ट हुए, जबकि भोलारी में एक AWACS विमान हैंगर के साथ तबाह हुआ। सुक्कुर में ड्रोन हैंगर को पूरी तरह गिरा दिया गया था। इस्लामाबाद के पास नूर खान एयरबेस पर भी नए ढांचे बनते दिख रहे हैं।

    कैसे पड़ा मुरीद एयरबेस का नाम?

    पाकिस्तान में स्थित PAF बेस मुरीद का नाम किसी व्यक्ति के नाम पर नहीं रखा गया है, बल्कि पंजाब प्रांत के मुरीद शहर के नाम पर रखा गया है। यह बेस PAF के ड्रोन अभियानों का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और हाल के वर्षों में इसके बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर सुधार किए गए हैं।

    इसका नाम उस शहर के नाम पर रखा गया है जहां यह स्थित है, अन्य PAF बेस के विपरीत जिनका नाम युद्ध नायकों जैसे मिन्हास या रफीकी के नाम पर रखा गया है। पाकिस्तान एयरफोर्स के लिए यह एक महत्वपूर्ण बेस है, विशेष रूप से मानवरहित हवाई वाहन (UAV) और लड़ाकू ड्रोन (UCAV) बेड़े के लिए।

    अगर इसके इतिहास पर ध्यान दें तो इसकी स्थापना अंग्रेजों द्वारा 1942 में RIAF स्टेशन के रूप में की गई थी, जिसे बाद में 2014 में PAF द्वारा एक मुख्य परिचालन बेस के रूप में उन्नत किया गया।

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