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    Pakistan Defence Budget: पाकिस्तान ने 11 फीसदी बढ़ाया रक्षा बजट, खर्च की एक लाइन में दी जानकारी

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Sat, 11 Jun 2022 03:58 AM (IST)

    पाकिस्तान का एक रुपया भारत के 38 पैसे के बराबर है। बजट में कर्ज चुकाने के लिए नियत धनराशि के बाद रक्षा वाले कार्यो में ही सर्वाधिक धन खर्च किया जाएगा। ...और पढ़ें

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    पाकिस्तान ने 11 फीसदी बढ़ाया रक्षा बजट (फाइल फोटो)

    इस्लामाबाद, प्रेट्र: पाकिस्तान सरकार ने शुक्रवार को अपने देश का रक्षा बजट घोषित कर दिया। पड़ोसी देश ने पिछले वर्ष के रक्षा बजट में 11 फीसदी की बढ़ोतरी करते हुए वर्ष 2022-23 के लिए 1,52,300 करोड़ पाकिस्तानी रुपये खर्च करने का प्रविधान किया है। वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने देश के लिए कुल 9,50,200 करोड़ पाकिस्तानी रुपये का बजट पेश किया है। रक्षा बजट इसी का हिस्सा है।

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    पाक ने घोषित किया रक्षा बजट

    विदित हो कि पाकिस्तान का एक रुपया भारत के 38 पैसे के बराबर है। बजट में कर्ज चुकाने के लिए नियत धनराशि के बाद रक्षा वाले कार्यो में ही सर्वाधिक धन खर्च किया जाएगा। पाकिस्तान के पिछले साल (2021-22) के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 1,37,000 करोड़ पाकिस्तानी रुपये का प्रविधान किया गया था। बाद में रक्षा मंत्रालय की मांग पर इसे बढ़ाकर 1,45,000 करोड़ रुपये कर दिया गया था।

    सैन्य बजट की 17.5 फीसदी हिस्सेदारी

    पाकिस्तान ने इस बार के कुल बजट प्रस्ताव में सैन्य बजट की हिस्सेदारी 17.5 फीसदी की है। लेकिन उसके खर्च के बारे में जानकारी सिर्फ एक पंक्ति में दी गई है। गोपनीयता के चलते पाकिस्तान में रक्षा खर्च के बारे में इतनी ही जानकारी देने की परंपरा है।

    दो हजार रुपए प्रति माह देगी सरकार

    शहबाज सरकार ने बजट में देश भर में अत्यधिक कमजोर वर्ग के लोगों को 2,000 रुपये मासिक सहायता राशि प्रदान करने की भी घोषणा की। इसने देश में उच्च शिक्षा के लिए 51 अरब रुपये और स्वास्थ्य के लिए 24 अरब रुपये आवंटित किए।

    पाक में सेना का वर्चस्व

    पड़ोसी देश भारत के साथ दो पूर्ण युद्ध लड़ चुकी सेना पाकिस्तान में सबसे शक्तिशाली सरकारी अमला है। गठन के 75 सालों में से करीब आधा समय सत्ता सेना के हाथों में रही है। सेना के जनरलों ने निर्वाचित सरकारों को जबरन सत्ताच्युत कर सत्ता पर कब्जा किया। माना जाता है कि अप्रैल में सत्ता से बाहर हुए इमरान खान को सेना का समर्थन मिलना बंद हो गया था, इसी के कारण उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी।