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    Pakistan: 'अनावश्यक रूप से कोर्ट में लाया गया चुनाव की तारीख का मामला', मुख्य न्यायाधीश बोले- राष्ट्रपति और ECP को करना चाहिए था फैसला

    By AgencyEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Sun, 05 Nov 2023 01:30 PM (IST)

    पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने कहा कि देश में आम चुनाव की तारीखों का मामला अनावश्यक रूप से कोर्ट में लाया गया है। उन्होंने कहा कि अदालत ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए पूरी तरह से सावधान थी कि देश में आम चुनाव को लेकर राष्ट्रपति या चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण न हो।

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    पाकिस्तान में आम चुनाव के तारीखों की हुई घोषणा। फाइल फोटो।

    एएनआई, इस्लामाबाद। Pakistan Parliament Elections: पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने कहा कि देश में आम चुनाव की तारीखों का मामला अनावश्यक रूप से कोर्ट में लाया गया है। उन्होंने कहा कि देश में चुनाव के संबंध में निर्णय पाकिस्तान के राष्ट्रपति और देश के चुनाव आयोग (ECP) द्वारा किया जाना चाहिए था। समाचार एजेंसी एएनआई ने पाकिस्तानी अखबार डॉन के हवाले से यह जानकारी दी है।

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    CJP ने अपने फैसले में क्या कहा?

    मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने कहा कि अदालत ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए पूरी तरह से सावधान थी कि देश में आम चुनाव को लेकर राष्ट्रपति या चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण न हो। सीजेपी ने शनिवार को जारी फैसले में कहा कि एक मामला जिसे राष्ट्रपति और ईसीपी द्वारा निपटाया जाना चाहिए था, उसे अनावश्यक रूप से इस अदालत में लाया गया।

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    आठ फरवरी को पाकिस्तान में होंगे आम चुनाव

    पाकिस्तानी अखबार डॉन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनावी निगरानी संस्था को राष्ट्रपति के परामर्श से चुनाव की तारीख पर निर्णय लेने का आदेश दिया, जिसके बाद मुख्य चुनाव आयुक्त सिकंदर सुल्तान राजा की अध्यक्षता में चुनाव आयोग के प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के साथ बैठक की और 8 फरवरी को आम चुनाव कराने पर सहमति व्यक्त की।

    पाकिस्तान में जारी है राजनीतिक संकट

    मालूम हो कि अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए इमरान खान की सरकार को हटाए जाने के बाद से ही पाकिस्तान में राजनीतिक अनिश्चितता शुरू हो गई थी, जो अभी भी जारी है। हालांकि, शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार ने नौ अगस्त को नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था ताकि चुनावी प्राधिकरण से 90 दिनों के भीतर देश में चुनाव कराने की अनुमति मिल सके।

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