कुरैशी के कारण पाकिस्तान का हो सकता है बुरा हाल, आने वाले दिनों में बढ़ जाएंगी परेशानियां
शाह महमूद कुरैशी ने पाकिस्तान की राजनीति में जो बीज बोया है उसकी कीमत उन्हें अपना पद छोड़कर चुकानी पड़ सकती है।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। बीते कुछ दिनों से पाकिस्तान की राजनीति में बवाल मचा हुआ है। इस बवाल की वजह पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी हैं। दरअसल, ये बवाल उनके द्वारा कश्मीर के मुद्दे को भुनाने के लिए सऊदी अरब की आलोचना करने और इस्लामिक सहयोग संगठन को सीधेतौर पर धमकी देने से ही शुरू हुआ है। इस धमकी ने न सिर्फ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को असहज कर दिया है बल्कि सऊदी अरब को भी नाराज कर दिया है। अब हालात ये हो गए हैं कि कुरैशी की विदेश मंत्री के तौर पर छुट्टी होना लगभग तय माना जा रहा है। स्थानीय मीडिया से लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी इस बात की चर्चा है कि मानवाधिकार मंत्री शीरीन मजारी उनकी जगह ले सकती हैं। ये सब घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब पाकिस्तान को सऊदी अरब से लिया गया कर्ज चुकाना है।
पहले हम आपको कुरैशी के उस बयान के बारे में जानकारी दे देते हैं जिस पर बवाल मचा है। दरअसल, कुरैशी ने पिछले दिनों सऊदी अरब के नेतृत्व वाले संगठन 'इस्लामिक सहयोग संगठन' (ओआईसी) को सख्त चेतावनी दी थी कि वो कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ कड़ा रुख नही अपना रहा है। रॉयटर्स के मुताबिक कुरैशी ने यहां तक कहा था कि यदि इस मुद्दे पर वो हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं, तो वो खुद पीएम इमरान खान के नेतृत्व में उन इस्लामिक देशों की बैठक बुलाने को मजबूर होंगे जो इस मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ दे रहे हैं।
पीटीआई ने MPIDSA के सीनियर फैलो और कॉर्डिनेटर डॉक्टर अशोक बेहुरिया के हवाले से कहा है कि पाकिस्तान का अब अरब देशों से इस मुद्दे पर पूरी तरह से मोहभंग हो चुका है। उनका ये भी मानना है कि वर्तमान में जो हालात पाकिस्तान में पैदा हुए हैं उसका असर आने वाले दिनों में उसकी वित्तीय व्यवस्था पर जरूर दिखाई देगा। उनके मुताबिक पाकिस्तान को इस बात का भी डर है कि कश्मीर के मुद्दे पर उम्मा पूरी तरह से बंटा हुआ है। वो इसे पाकिस्तान की बौखलाहट की एक बड़ी वजह भी मानते हैं।
पाकिस्तान और सऊदी अरब की राजनीति पर नजर रखने वरिष्ठ पत्रकार और विदेश मामलों के जानकार कमर आगा ने दैनिक जागरण से बात करते हुए माना कि इसका असर हमें दूर तक दिखाई देगा। उन्होंने ये भी माना कि इसका असर वहां की राजनीति और वित्तीय हालातों पर भी पड़ेगा। पीटीआई ने तुर्की मीडिया के हवाले से यहां तक कहा है कि सऊदी अरब ने पाकिस्तान को धमकी दी है कि यदि वो नहीं माना तो अपने यहां पर काम करने वाली करीब 40 लाख पाकिस्तानियों को वो वापस भेज देंगे और उनकी जगह पर बांग्लादेश से आने वाले लोगों को तवज्जो देने लगेंगे।
आपको बता दें कि ईरान, मलेशिया और तुर्की के अलावा कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ कोई भी दूसरा देश नहीं दे रहा है। वहीं इस संगठन के ज्यादातर देशों के साथ भारत के बेहद करीबी और पुराने ताल्लुक हैं। यही वजह है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री बुरी तरह से बौखलाए हुए हैं। यही वजह थी कि उन्होंने मलेशिया के साथ मिलकर ओआईसी के समानांतर इस्लामिक देशों के लिए एक दूसरा अंतरराष्ट्रीय मंच बनाने की पूरी कोशिश भी की थी।
कुरैशी के बयान के बाद सऊदी अरब ने भी पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख इख्तियार करते हुए उसको तेल की आपूर्ति समेत कर्ज देने से भी इनकार कर दिया। सऊदी का ये रुख देखते हुए ही वहां पर पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल कमर बाजवा और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज रियाद को वहां भेजा गया है। पाकिस्तान ना फाइनल भी किया गया है। इनपर सऊदी अरब को मनाने को मनाने की जिम्मेदारी है। वहीं एएफपी के मुताबिक कुरैशी के बयान के बाद रविवार को मानवाधिकार मंत्री शीरीन मजारी ने ये कहकर आग में घी डालने का काम किया कि कश्मीर मुद्दे पर इमरान खान अकेले ही लड़ रहे हैं और पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस दिशा में उनकी कोई मदद नहीं की। उन्होंने यहां तक कहा कि यदि इमरान खान को विदेश मंत्रालय का साथ मिला होता तो नतीजे कुछ और ही होते।
मजारी ने यहां तक कहा है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कश्मीर मुद्दे पर प्रधानमंत्री इमरान खान और कश्मीरी आवाम को नीचा दिखाया है। पाकिस्तान में इमरान सरकार के एक और मंत्री शेख राशिद ने भी माना है कि सऊदी अरब से पहले ही रिश्ते खराब थे जो कुरैशी के बयान के बाद और खराब हो गए हैं। आपको बता दें कि 22 मई को इमरान खान ने खुद इस बात को स्वीकार किया था कि कश्मीर के मुद्दे पर ओआईसी में उन्हें साथ नहीं मिला है और इस पर उनकी और संगठन में शामिल अन्य देशों की राय जुदा हैं या इनमें मतभेद हैं। आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि पाकिस्तान के लिए सऊदी अरब और यूएई ऐसे समय पर साथ आए थे जब उनकी वित्तीय हालत बेहद खस्ता थी। सऊदी अरब के प्रिंस सलमान ने पाकिस्तान का दौरा कर न सिर्फ वहां पर अरबों के निवेश करने पर समझौते किए थे बल्कि कर्ज के तौर पर एक बड़ी रकम भी दी थी।
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