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    लाहौर बार एसोसिएशन पहुंचे इमरान खान तो लगे घड़ी चोर के नारे, पूर्व पीएम को उठानी पड़ी शर्मिंदगी

    इमरान खान की पार्टी सरकार के खिलाफ लान्‍ग मार्च पर निकली है। इससे पहले उनके खिलाफ लाहौर में घड़ी चोर के नारे लगाए गए। ये नारेबाजी पीटीआई समर्थक वकीलों ने की थी। इसको लेकर एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है।

    By Jagran NewsEdited By: Kamal VermaUpdated: Fri, 28 Oct 2022 11:31 AM (IST)
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    जब इमरान खान को लाहौर में झेलनी पड़ी शर्मिंदगी

    नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। पाकिस्‍तान के पूर्व पीएम और पीटीआई चीफ इमरान खान को उस वक्‍त बड़ी खराब स्थिति से गुजरना पड़ा जब लाहौर में उनके सामने घड़ी चोर के नारे लगाए गए। इमरान लाहौर बार एसोसिएशन के आफिस में कुछ अन्‍य वकीलों के साथ वहां पर पहुंचे थे, तभी वहां मौजूद अन्‍य वकीलों ने उनके खिलाफ घड़ी चोर के नारे लगाए। इसको लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी काफी वायरल रहा है। इसमें वकीलों को अब पूरी दुनिया बोलेगी घड़ी चोर, घड़ी चोर, कहते हुए सुना जा सकता है। इस वीडियो में पीटीआई समर्थक वकील नारा लगाने वाले वकीलों को पीछे धक्‍का देते भी दिखाई दे रहे हैं। इमरान खान की पार्टी ने इस घटना के लिए पीएमएल-एन को जिम्‍मेदार ठहराया है।

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    तोशाखाना मामले में लगे नारे 

    ये नारे दरअसल, तोशाखाना मामले को देखते हुए लगाए गए थे जिसमें पिछले सप्‍ताह ही देश के चुनाव आयोग ने उन्‍हें अयोग्‍य करार दिया था। आयोग का कहना था कि इमरान खान ने न सिर्फ तोशाखाना से सरकार को मिले दो गिफ्ट बेचकर धन इकट्ठा किया बल्कि इसकी सूचना को भी छिपाया और आयोग को गलत जानकारी मुहैया कराई थी। ये मामला पीएमएल-एन के नेता द्वारा अगस्‍त में चुनाव आयोग में दायर किया गया था। इसके खिलाफ इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट ने उन्‍हें बड़ी राहत देते हुए कहा है कि वो चुनाव लड़ सकते हैं।

    पहले से ही थी पीटीआई को आशंका 

    तोशाखाना मामले में ईसीपी ने जो फैसला सुनाया है उसको लेकर इमरान खान और उनकी पार्टी की तरफ से पहले ही आशंका जाहिर की गई थी। यही वजह है कि आयोग में ये मामला दायर होते ही पीटीआई ने देश के मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने और उन्‍हें हटाने के लिए भी कोर्ट में याचिका दायर की थी। इमरान खान की पार्टी पीटीआई का आरोप है कि मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त सरकार के हितैषी बनकर पीटीआई के खिलाफ फैसला सुना रहे हैं। इस तरह से वो नियमों को भी ताक पर रख रहे हैं और अपनी जिम्‍मेदारी का निर्वाहन भी ठीक से नहीं कर रहे हैं। इसलिए उन्‍हें पद से बर्खास्‍त किया जाना चाहिए।

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