दोहरा गेम खेल रही है पाक सेना... TLP के विरोध प्रदर्शनों के पीछे क्या है आसीम मुनीर का मंसूबा?
पाकिस्तान में, आतंकवादी समूहों का उपयोग करके अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना एक आम बात है। गाजा मुद्दे पर टीएलपी के हिंसक प्रदर्शन एक उदाहरण है, जो इस्लामाबाद की ओर बढ़ रहा है। सूत्रों के अनुसार, यह पाकिस्तानी सेना की एक योजना है जिसका उद्देश्य इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के अमेरिकी दबाव को कम करना और आंतरिक राजनीति में समर्थन प्राप्त करना है। सेना टीएलपी का उपयोग करके पाकिस्तान को इस्लामी दुनिया का नेता बनाने की कोशिश कर रही है।

लाहौर व कुछ दूसरे शहरों में किया जा रहा हिंसक विरोध प्रदर्शन (फोटो: रॉयटर्स)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आतंकवादी संगठनों के जरिए अपने हितों को साधने की परंपरा पाकिस्तान में पुरानी रही है। गाजा मुद्दे पर तेजीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के समर्थकों की तरफ से लाहौर व कुछ दूसरे शहरों में किया जा रहा हिंसक विरोध प्रदर्शन इसका नया उदाहरण हैं।
इजरायल के हमलों के खिलाफ टीएलपी के लोगों की तरफ से फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन के नारों के साथ शुरु हुआ यह प्रदर्शन इस्लामाबाद की ओर कूच कर चुका है। कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि यह प्रदर्शन पाकिस्तानी सेना की एक सुनियोजित साजिश प्रतीत होती है जिसका दोहरा उद्देश्य है। एक तरफ इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने को लेकर अमेरिकी दबाव को कम करना है तो दूसरा, आंतरिक राजनीति में सहानुभूति हासिल करना भी है।
तीन महीने में 3 बार गया आसीम मुनीर
पिछले तीन महीने में तीन बार अमेरिका का दौरा कर चुके पाकिस्तान आर्मी चीफ आसीम मुनीर का यह गेम-प्लान कितना सफल होगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि टीएलपी का नेतृत्व पर उनका कितना असर रहता है। पूर्व में यह देखा जा चुका है कि पाकिस्तान सेना की तरफ से पोषित आतंकवादी संगठन कई बार अपनी मर्जी से भी फैसले करने लगते हैं। पिछले कुछ हफ्तों के दौरान अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की गतिविधियां, जिसे वहां की सरकार बड़ी उपलब्धियों के तौर पर पेश कर रही है, को देखें तो पाक सेना और टीएलपी के बीच की साजिश का अंदाजा हो जाता है।
पहले पाकिस्तान की तरफ अमेरिकी कंपनियों को तेल ब्लॉक, क्रिप्टोकरेंसी की अनुमति देने, दुर्लभ खनिजों के खनन आदि का प्रस्ताव दिया जाता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहली बार पाक सेना के प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर को भोज दिया। कुछ हफ्ते बाद ही पीएम शाहबाज शरीफ और मुनीर को दोबारा आमंत्रित किया गया। ढ़ाई दशक बाद अमेरिका की कूटनीति में पाकिस्तान को भाव दिया गया। अमेरिका की इस दरियादिली के पीछे पश्चिम एशिया को लेकर उसकी नई नीति एक बड़ी वजह रही।
पाकिस्तान पर अमेरिका का दबाव
इसके कुछ ही दिनों बाद फील्ड मार्शल मुनीर और पीएम शरीफ ने सऊदी अरब के साथ 'रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौता' साइन किया, जो सीधे तौर पर इजरायल को घेरने की रणनीति है। ऐसे में पाकिस्तान पर एक तरफ से अमेरिका का दबाव बन रहा है कि वह अब्राहम समझौतों के तहत इजरायल को मान्यता दे। ट्रंप ने जब गाजा शांति प्लान की घोषणा की तो पाकिस्तान सबसे आगे बढ़ चढ़ कर स्वागत किया। यह हमास को कमजोर करता है और पाकिस्तान के समाज एक बड़े वर्ग को यह स्वीकार नहीं।
कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक गाजा शांति समझौते के पक्ष में तकरीबन पूरा पश्चिम एशियाई देश हैं लेकिन इन देशों की जनता को भी यह पूरी तरह से स्वीकार हो, इसमें संदेह है। ऐसे में पाकिस्तान सेना ने टीएलपी को सक्रिय करके पाकिस्तान को इस्लामी दुनिया का लीडर बनने का गेम प्लान किया है। अगर प्रदर्शन ज्यादा बढ़ता है तो पाक सरकार इसे अमेरिका के सामने अपनी मजबूरी के तौर पर रख सकती है कि वह क्यों अभी अब्राहम समझौते को स्वीकार नहीं कर रहा। ट्रंप इस तर्क को मानते हैं या नहीं यह भी देखना होगा। लेकिन जैसा कि पहले भी देखा जा चुका है कि आतंकवादी संगठन को उकसावा देना आसान है लेकिन उनको अपनी मर्जी से निर्दे मर्जी से निर्देशित करना खतरनाक भी साबित होगा।
पंजाब पुलिस की गोलीबारी में बड़ी संख्या में मौतें हो चुकी हैं। पंजाब पुलिस की कार्रवाई को भी पाक सेना को दिये जाने वाले जबाव के तौर पर भी देखा जा रहा है जो वहां के आंतरिक हालात को बताता है। इस बार पंजाब पुलिस का विद्रोह खतरनाक साबित हो रहा है। अगर प्रदर्शन बढ़े, तो पाकिस्तान में आंतरिक युद्ध जैसी स्थिति भी बन सकती है और पूरे खेल में खुद पाकिस्तान का हाथ और नकाब दोनों जल सकता है।
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