पाकिस्तान में हर साल 2,000 अल्पसंख्यक लड़कियों का अपहरण, जबरन मतांतरण के मुद्दे पर UN ने जताई चिंता
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक अधिकार समूह के अनुसार हर साल लगभग 2000 नाबालिग लड़कियों का अपहरण किया जाता है और उन्हें जबरन मुस्लिम पुरुषों से शादी करा दी जाती है। उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने भी इस अत्याचार की निंदा की है पर अपहरणकर्ता जाली सर्टिफिकेट बनवाकर बच जाते हैं। अदालतें भी अक्सर अपहरणकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाती हैं।

पीटीआई, इस्लामाबाद। पाकिस्तान के एक प्रमुख अल्पसंख्यक अधिकार समूह ने मंगलवार को बताया कि हर साल पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों की कम से कम 2,000 नाबालिग लड़कियों का अपहरण किया जाता है, उन्हें जबरन मुस्लिम पुरुषों से शादी करा दी जाती है और उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया जाता है।
वायस ऑफ पाकिस्तान माइनारिटी (वीओपीएम) की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तानी धार्मिक अल्पसंख्यकों में सबसे कमजोर लोगों, विशेष रूप से नाबालिग लड़कियों को निशाना बनाकर किए जाने वाले लैंगिक अपराधों के बारे में संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ को भी जानकारी है।
यूएन ने नाबालिग हिंदू और ईसाई लड़कियों पर अत्याचार की निंदा की
संयुक्त राष्ट्र ने न केवल पाकिस्तान में नाबालिग हिंदू और ईसाई लड़कियों पर अत्याचार की निंदा की है, बल्कि इनके लिए दंड से मुक्ति की भी आलोचना की है। अक्सर ये देखा गया है कि अदालतें अक्सर अपहरणकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाती हैं।
बालिग दिखाने को बनवा लेते हैं जाली सर्टिफिकेट रिपोर्ट में बताया गया कि एक बार इस्लाम धर्म अपनाने के बाद, लड़कियां कानूनन अपने मूल धर्म में वापस नहीं लौट सकतीं।
पाकिस्तान के धार्मिक कानूनों के तहत इस्लाम छोड़ने पर मृत्युदंड दिया जा सकता है। अपहरणकर्ता मौलवियों की मदद से जाली सर्टिफिकेट भी बनवा लेते हैं ताकि मामला दर्ज होने पर वे यह साबित कर सकें कि लड़की नाबालिग नहीं है।
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