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    'अब सच आ रहा सामने', कारगिल युद्ध पर नवाज शरीफ ने मानी पाकिस्तान की गलती तो भारत ने दिखाया आईना

    Pakistan on Lahore Agreement अपने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल इस मामले पर एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे। रणधीर जायसवाल ने कहा आप इस मुद्दे पर हमारी स्थिति से अवगत हैं। मुझे इसे दोहराने की आवश्यकता नहीं है। हम देखते हैं कि इस मामले पर पाकिस्तान में भी वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण उभर रहा है।

    By Agency Edited By: Babli Kumari Updated: Thu, 30 May 2024 05:45 PM (IST)
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    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा यह स्वीकार किए जाने के कुछ दिनों बाद कि इस्लामाबाद ने लाहौर समझौते का उल्लंघन किया था। भारत ने गुरुवार को कहा कि पड़ोसी देश में इस मुद्दे पर वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण उभर रहा है।

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    अपने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल इस मामले पर एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे। रणधीर जायसवाल ने कहा, 'आप इस मुद्दे पर हमारी स्थिति से अवगत हैं। मुझे इसे दोहराने की आवश्यकता नहीं है। हम देखते हैं कि इस मामले पर पाकिस्तान में भी वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण उभर रहा है।'

    पीओके पर हम अपनी स्थिति को लेकर हैं अडिग

    पीओके पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'पीओके पर हम अपनी स्थिति पर बहुत अडिग हैं। पूरा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, केंद्र शासित प्रदेश भारत का हिस्सा हैं, भारत का अभिन्न अंग हैं। वे भारत का अभिन्न अंग थे। वे भारत का अभिन्न अंग हैं और वे भारत का अभिन्न अंग बने रहेंगे। सीपीईसी पर भी हमारी स्थिति सर्वविदित है। हम इसके पक्ष में नहीं हैं। हम इसके खिलाफ हैं। यह हमारी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ है।'

    शरीफ ने स्वीकार की थी अपनी गलती 

    बता दें कि शरीफ ने पीएमएल-एन की आम परिषद की बैठक में कहा, "28 मई, 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए। उसके बाद वाजपेयी साहब यहां आए और हमारे साथ एक समझौता किया। लेकिन हमने उस समझौते का उल्लंघन किया... यह हमारी गलती थी।" 

    पाकिस्तानी घुसपैठ ने कारगिल संघर्ष को जन्म दिया

    लाहौर में ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के बाद, तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री वाजपेयी और शरीफ ने 21 फरवरी, 1999 को लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। दोनों पड़ोसी देशों के बीच शांति और स्थिरता के दृष्टिकोण की बात करने वाले इस समझौते ने एक सफलता का संकेत दिया। हालांकि, कुछ महीनों बाद, जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में पाकिस्तानी घुसपैठ ने कारगिल संघर्ष को जन्म दिया।

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