पाकिस्तान में शराब बैन, लेकिन एशिया की सबसे पुरानी डिस्टिलरी यहीं... ब्रिटिश परिवार ने पारसी फैमिली को सौंपा था कारोबार
पाकिस्तान में एशिया की सबसे पुरानी डिस्टिलरी में से एक मुरी ब्रूअरी मौजूद है। कभी इसका संचालन ब्रिटिश परिवार करता था। लेकिन बाद में एक पारसी परिवार को यह बिजनेस सौंप दिया गया। काबुल से लेकर अमृतसर तक इसकी खेप पाकिस्तान रेलवे पहुंचाता था। भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार ठप होने का असर इस बिजनेस पर भी पड़ा है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 1947 में जब ब्रिटेन ने भारत और पाकिस्तान को सत्ता हस्तांतरित की, तब कई बिजनेस का स्वामित्व भी एक-दूसरे को सौंपा गया था। इन्हीं में से एक मुरी ब्रूअरी भी थी। इसे एशिया की सबसे पुरानी डिस्टिलरी में से एक माना जाता है।
मुरी ब्रूअरी का स्वामित्व पहले ब्रिटिश परिवार को पास था। लेकिन बाद में इसे लाहौर की भंडारा फैमिली को सौंप दिया गया। ये एक पारसी परिवार था, जो शराब के बिजनेस से सफलतापूर्वक आगे बढ़ा था। इस ब्रूअरी का संचालन अब इस्फान्यार भंडारा करते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में उन्होंने अपनी नेपाल यात्रा के दौरान नई दिल्ली में हॉल्ट किया। नीले आउटफिट पर पाकिस्तानी झंडा का बैज लगाए बिजनेसमैन इस्फान्यार ने कहा कि ये मेरी दसवीं भारत यात्रा है।
पाकिस्तान में बैन है शराब
पाकिस्तान एक इस्लामिक गणराज्य है। यहां की लगभग 96 फीसदी आबादी मुस्लिम है। इसलिए पाकिस्तान में शराब के कारोबार को काफी ज्यादा रेगुलेट किया जाता है। ब्रूअरी की वेबसाइट पर इस बारे में लिखा है- 'देश के कानून के तहत पाकिस्तानी मुस्लिम शराब नहीं पी सकते। गैर मुस्लिम और विदेशियों को शराब पीने के लिए परमिट की जरूरत होती है।'
भंडारा परिवार के लिए यह बिजनेस काफी फायदे वाला साबित हुआ है। इस्फान्यार कहते हैं, 'हम ऑस्ट्रेलिया के बार्ले से बीयर बनाते हैं। हमारे वोडका और सिंगल मॉल्ट भी काफी बेहतर हैं। ये सब क्वालिटी की वजह से है। हम फ्रूट जूस और बोतलबंद पानी भी बनाते हैं, जिन्हें निर्यात भी किया जाता है।'
राजनीति में सक्रिय भंडारा परिवार
बिजनेस से इतर, इस्फान्यार पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य भी हैं। 1980 के दशक में जिया-उल-हक की सरकार में उनके पिता केंद्रीय मंत्री थे। वह परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल में भी सांसद रहे थे।
बंटवारे के बाद पाकिस्तान में 25 हजार पारसी थे। लेकिन बाद में स्थिति काफी दयनीय हो गई। इस्फान्यार कहते हैं, 'आज हम 1000 से भी कम है। ज्यादातर पारसी समुदाय 80 और 90 की उम्र पार कर चुके हैं। काफी कम पारसी ही युवा हैं।'
भारत से आयात पर निर्भर
इस्फान्यार भंडारा अपने बिजनेस के लिए कच्चा माल और मशीनरी भारत से ही लेते हैं। वह कहते हैं, 'पाकिस्तान की दूसरी कंपनियां भी ऐसा ही करती हैं। लेकिन समस्या ये है कि वह दुबई के रास्ते आता है।'
व्यापार के मुद्दे पर वह कहते हैं, 'हम कश्मीर पर असहमत हो सकते हैं। लेकिन हमें इसे ठंडे बस्ते में डाल देना चाहिए। हमें इतिहास के बोझ को किनारे रखना चाहिए और आम लोगों की आम जरूरतों के बारे में सोचना चाहिए। हमें वाघा बॉर्डर को खोलना चाहिए।'
हमें यह कॉमन मैन के लिए करना चाहिए। दाल, रोटी, चीनी और दूसरी चीजों के लिए। इससे पाकिस्तान में महंगाई कम होगी। मैं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से इस पर बात करूंगा।
- इस्फान्यार भंडारा
1860 में हुई थी स्थापना
- मुरी ब्रूअरी की स्थापना 1860 में लाहौर में हुई थी। इसके ब्रिटिश आर्मी के लिए बनाया गया था। जालियावाला बाग कांड के अपराधी रेजिनाल्ड डायर के पिता एडवर्ड डायर इसके पहले मैनेजर थे। पानी की कमी और दूसरी वजहों से 1890 में इसे रावलपिंडी में शिफ्ट कर दिया गया, जहां इसका अभी हेडक्वार्टर है।
- इस्फान्यार भंडारा कहते हैं, 'पहले ब्रूअरी के अंदर पाकिस्तान रेलवे की ट्रैक बिछी थीं। वह बीयर को काबुल, अमृतसर और कराची पोर्ट तक ले जाती थीं।' लेकिन 1970 के बाद पाकिस्तान के नियम-कायदे बदले और बाद में शराब बैन कर दी गई।
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