एफसीसी के विरोध में अब लाहौर हाईकोर्ट के जज का इस्तीफा, संविधान संशोधन पर उठे सवाल
पाकिस्तान में संविधान में संशोधन कर बनाए गए फेडरलकांस्टिट्यूशन कोर्ट (एफसीसी) का विरोध बढ़ता जा रहा है। शनिवार को लाहौर हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश शम्समहमूद मिर्जा ने एफसीसी के गठन को संविधान और न्यायपालिका पर हमला बताते हुए पद से इस्तीफा दे दिया।

एफसीसी के विरोध में अब लाहौर हाईकोर्ट के जज का इस्तीफा (सांकेतिक तस्वीर)
पीटीआई, लाहौर। पाकिस्तान में संविधान में संशोधन कर बनाए गए फेडरल कांस्टिट्यूशन कोर्ट (एफसीसी) का विरोध बढ़ता जा रहा है। शनिवार को लाहौर हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश शम्स महमूद मिर्जा ने एफसीसी के गठन को संविधान और न्यायपालिका पर हमला बताते हुए पद से इस्तीफा दे दिया।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ न्यायाधीश इस्तीफा दे चुके हैं। इस बीच देश में वकीलों ने भी न्यायपालिका को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए आंदोलन छेड़ दिया है।
पाकिस्तान में संविधान संशोधन कर संवैधानिक मामलों की सुनवाई का अधिकार सुप्रीम कोर्ट से लेकर नवगठित कांस्टिट्यूशन कोर्ट को दे दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट अब माल और फौजदारी के मामलों की ही सुनवाई कर सकेगा। न्यायिक क्षेत्र में इसे न्यायपालिका को कमजोर करने की साजिश माना गया है।
लाहौर हाईकोर्ट से इस्तीफा देने वाले जस्टिस मिर्जा विपक्षी दल तहरीक-ए-इंसाफ के महासचिव सलमान अकरम राजा के रिश्तेदार हैं। विधि विशेषज्ञों की संस्था इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट्स ने 27 वें संविधान संशोधन को पाकिस्तान के न्यायिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है।
कहा, नए कानून से देश में सुप्रीम कोर्ट की सर्वोच्चता खत्म हो गई है। 27 वें संविधान संशोधन के परिणामस्वरूप सेना प्रमुख आसिम मुनीर को प्रोन्नत कर तीनों सेनाओं का प्रमुख बना दिया गया है। वह इस पद पर 2030 तक रहेंगे।

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