गुलाम कश्मीर का पाकिस्तान में क्या है स्टेटस, आप खुद देखें, जानें कैसे बनाया है इसका मजाक
कश्मीर के जिस हिस्से पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है उसका पाकिस्तान ने अपने फायदे के लिए कैसे मजाक बनाया है यह अब किसी से छिपा नहीं रह गया है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। गुलाम कश्मीर या यूं कहें कि पाक अधिकृत कश्मीर जिसको दुनिया विवादित क्षेत्र मानती है, लेकिन जो हकीकत में भारत के जम्मू-कश्मीर का अभिन्न अंग है, उसका पाकिस्तान ने मजाक बनाकर रख दिया है। पाकिस्तान द्वारा अवैध तरीके से हथियाया हुआ ये हिस्सा लगातार दशकों से सुर्खियों में रहा है। आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के बाद अब जबकि भारत इसको लेकर पूरी तरह से मुखर हो चुका है तो पाकिस्तान के माथे पर शिकन के साथ पसीने भी आने लगे हैं। दरअसल, पाकिस्तान जिसको अपना कहता आया है वह उसका कभी न था और न ही कभी हो सकता है, इस बात को पाकिस्तान भी बखूबी जानता है। हालांकि, उसकी पूरी सियासत की धुरी ही जम्मू-कश्मीर रही है इसलिए वह उससे अलग नहीं हो सकता है। इस बात को मुहम्मद अली जिन्ना से लेकर इमरान खान तक सभी मानते और समझते आए हैं। इस गुलाम कश्मीर को पाकिस्तान आजाद कश्मीर कहता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उसका आखिर वहां पर स्टेटस क्या है। क्या वह एक देश है या पाकिस्तान का कोई प्रांत या सिर्फ धर्म के नाम पर बना एक वोटबैंक, जिसका पाकिस्तान हमेशा से अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करता आया है। हम आपको आज इसकी ही जानकारी यहां पर देने वाले हैं।
आपका चौंकना लाजिमी है
गुलाम कश्मीर को पाकिस्तान के अंदर मौजूद एक देश की संज्ञा दी जाए तो हर किसी का चौकना लाजिमी होगा। ऐसा महज इसलिए कहा गया है, क्योंकि कहने भर के लिए गुलाम कश्मीर का अपना प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी है। इतना ही नहीं इस देश में पीएम भले ही है, लेकिन कोई संसद नहीं है। यहां पर एक विधानसभा है। इसी विधानसभा में पीएम भी बैठते हैं। इस विधानसभा में बैठने वाले सदस्य हमारे विधायकों की ही तरह चुने जाते हैं। अब इसको लेकर चौकाने वाले कुछ और अजीबोगरीब तथ्य भी जान लें। कहने को तो नेपाल और भूटान से बड़ा है, लेकिन इसके साथ मजाक ये है कि इसकी दुनिया में अहमियत इतनी ही है कि इस क्षेत्र पर पाकिस्तान ने अवैध तरीके से कब्जा किया हुआ है, इस लिहाज से यह विवादित है। पाकिस्तान की धड़कनें इसको लेकर इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि अब भारत सरकार ने खुले तौर पर इसको भारत के जम्मू-कश्मीर में शामिल करने और इसको वापस लेने की बात करनी शुरू कर दी है। भारत ने साफ कहा है कि दोनों देशों के बीच बातचीत का विषय सिर्फ यही गुलाम कश्मीर होगा।
पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब
वहीं, दूसरी तरफ पाकिस्तान जम्मू कश्मीर के विषय पर हर बार झूठ बोलता आया है। इतना ही नहीं पाकिस्तान ने हर बार जम्मू-कश्मीर के मसले को अंतरराष्ट्रीय रूप देने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। संयुक्त राष्ट्र में हर बार उसको इस विषय पर हार ही मिली है। पाकिस्तान की हकीकत ये है कि वह खुद को मुस्लिमों का सबसे बड़ा शुभचिंतक होने का दिखावा करता आया है। खुद इमरान खान के बयानों से ये बात साफतौर पर जाहिर होती आई है। इमरान खान ने कुछ दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र को कटघरे में खड़ा करते हुए यहां तक कहा था, जम्मू- कश्मीर में मुसलमान रहते हैं इसलिए सयुंक्त राष्ट्र में उनकी बात नहीं सुनी जाती है। वो ये बयान देते हुए भूल गए कि इस्लामिक सहयोग संगठन के ही कई देश पाकिस्तान का साथ जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर नहीं देते हैं। यह पाकिस्तान के लिए एक आईना ही है।
गुलाम कश्मीर से जुड़े कुछ खास तथ्य
आगे बढ़ने से पहले आपको गुलाम कश्मीर के बारे में कुछ और जानकारी भी दे देते हैं। 13,297 वर्ग किमी में फैले गुलाम कश्मीर की जनसंख्या की बात करें तो 2017 के आंकड़ों के मुताबिक, यह 4,045,366 है। दुनिया को दिखाने के लिए गुलाम कश्मीर का अपना हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी है। इस इलाके की पूरी अर्थव्यवस्था कृषि और पर्यटन पर टिकी है। गिलगिट बाल्टिस्तान से लगते इसके एक इलाके को पाकिस्तान ने 1963 में चीन को सौंप दिया था। यह इलाका फिलहाल चीन की शिनजियांग उइगर प्रोविंस का हिस्सा है।
कहने भर के लिए पीएम और राष्ट्रपति
इस गुलाम कश्मीर की हर चीज बेहद अजीबो-गरीब है। जैसे पाकिस्तान इसको अपना हिस्सा बताता है, लेकिन यहां पर कोई मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि पीएम और राष्ट्रपति है। एक आजाद देश के रूप में अस्तित्व में आने के बाद पाकिस्तान की सेना और कबाइलियों ने जम्मू-कश्मीर पर हमला कर इस क्षेत्र को हथिया लिया था। अब इसके पीएम और राष्ट्रपति की भी हकीकत जान लें।
ये हैं गुलाम कश्मीर के राष्ट्रपति
सरदार मसूद खान गुलाम कश्मीर के 27वें राष्ट्रपति हैं। वो जहां जाते हैं कश्मीर का राग अलापते हैं यह बात अलग है कि उनकी न कोई देश सुनता है और न ही कोई उनकी बात को गंभीरता से लेता है। मसूद को यहां का राष्ट्रपति इसलिए भी बनाया गया है, क्योंकि वो पाकिस्तानी डिप्लोमेट रह चुके हैं। 1980 में वे पाकिस्तान विदेश सेवा में शामिल हुए थे। इसके बाद 2003 में उन्हें पाकिस्तान विदेश मंत्रालय का प्रवक्ता बनाया गया। 2005 से लेकर 2008 तक वे संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी राजदूत रहे। 2008 और 2012 में वह चीन में पाकिस्तानी राजदूत के तौर पर अपनी सेवा दे चुके हैं। 2012 और 2015 में वह यूएन में पाकिस्तान के परमानेंट रिप्रजेंटेटिव की भूमिका भी निभा चुके हैं। 2015-16 में वह इस्लामाबाद स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटजिक स्टडीज के डायरेक्टर जनरल के पद पर भी रह चुके हैं।
ये हैं गुलाम कश्मीर के प्रधानमंत्री
राजा फारुख हैदर खान यहां के कहने भर के लिए 12वें प्रधानमंत्री हैं। वह पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के नेता हैं। राजा हैदर मुजफ्फराबाद के राजपूत परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जिनकी स्कूली शिक्षा एबटाबाद पब्लिक स्कूल में हुई है, जबकि लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज से उन्होंने आगे की पढ़ाई की है। 2016 के चुनाव में पीएमएल-एन ने यहां की 49 में से 31 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जिसके बाद हैदर को पीएम बनाया गया था।
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