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आइएमएफ ने पाक को दिया तगड़ा झटका, एक अरब डालर का कर्ज देने से किया इन्‍कार, इमरान की सारी कवायद हुई बेकार

आइएमएफ ने पाकिस्‍तान को एक अरब डालर का कर्ज देने से इनकार कर दिया है। पाकिस्तान और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के बीच एक अरब डालर के कर्ज और राष्ट्र को बेहतर आर्थिक प्रमाण पत्र जारी करने के लिए बातचीत का ताजा दौर अनिर्णायक रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 04:50 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 06:28 PM (IST)
आइएमएफ ने पाकिस्‍तान को एक अरब डालर का कर्ज देने से इनकार कर दिया है।

इस्‍लामाबाद, पीटीआइ। कर्ज लेकर व्‍यवस्‍था चलाने के फामूर्ले पर काम कर रहे पाकिस्‍तान को अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष यानी आइएमएफ से करारा झटका लगा है। आइएमएफ (International Monetary Fund) ने पाकिस्‍तान को एक अरब डालर का कर्ज देने से इनकार कर दिया है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक पाकिस्तान और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund, IMF) के बीच एक अरब डालर के कर्ज और राष्ट्र को बेहतर आर्थिक प्रमाण पत्र जारी करने के लिए बातचीत का ताजा दौर अनिर्णायक रहा है। 

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पाकिस्‍तानी अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक चार से 15 अक्टूबर के बीच हुई वार्ताएं व्यापक समझौते पर पहुंचने में विफल रहीं। ऐसा नहीं है कि पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आईएमएफ को रिझाने के लिए कोई कोर कसर बाकी रखी थी। इमरान ने आइएमएफ को मनाने के लिए बिजली और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी की फि‍र भी वैश्विक संस्‍था को संतुष्‍ट करने में कामयाब नहीं हो पाए। हालांकि दोनों पक्षों ने आगे बातचीत जारी रखने का संकल्प दिखाया है।

आइएमएफ को मनाने के लिए खुद पाकिस्‍तानी वित्‍त मंत्री शौकत तारिन ने मोर्चा संभाला था। उन्‍होंने आईएमएफ के प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा और दक्षिण मध्य एशिया के लिए अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू से मुलाकात की थी लेकिन इन बैठकों का कोई खास नतीजा नहीं निकल सका। यह दूसरी बार था जब पाकिस्तान को आईएमएफ से मायूसी मिली क्योंकि जून में किया गया उसका पहला प्रयास भी व्यर्थ रहा था। अब आइएमएफ से कर्ज नहीं मिलने के कारण इमरान को चीन या खाड़ी देशों से लोन देने के लिए गुहार लगानी पड़ सकती है।

सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान और आइएमएफ अतिरिक्त करों की मात्रा और बिजली क्षेत्र की वित्तीय स्थिरता के रोडमैप पर सहमत नहीं हो सके। गैस की कीमतों में वृद्धि और चालू खाते के घाटे को एक प्रबंधनीय स्तर तक नियंत्रित करने के लिए आवश्यक उपाय जैसे मुद्दे भी थे जिन पर आइएमएफ संतुष्‍ट नहीं हुआ। सूत्रों ने यह भी बताया कि आइएमएफ ने सकल घरेलू उत्पाद के कम से कम एक फीसद या 525 अरब रुपये के बराबर अतिरिक्त कर लगाने की मांग की थी लेकिन सरकार 300 अरब रुपये तक पर ही उपाय करने को तैयार थी।


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