जानें, आखिर किससे दुखी हैं पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान, किसने किया उनका जीना मुहाल
इमरान खान अपने ही देश में चौतरफा मुश्किलों से घिरे हुए हैं। कभी उनके बयानों तो कभी देश की बदहाली पर विपक्ष ने उनकी राह मुश्किल कर दी है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें कम होने को तैयार नहीं हो रही हैं। वहीं खुद पीएम भी विपक्ष को एक के बाद एक मुद्दा दिए जा रहे हैं। विपक्ष भी उनकी राजनीतिक गलियारों में फजीहत करने का कोई मौका नहीं चूक रहा है। कभी पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो को साहिबा कहना तो कभी जर्मनी और जापान की सीमाओं को मिलाने का बयान तो कभी भारतीय पीएम को लेकर दिए बयानों ने इमरान खान की समस्याओं को बढ़ा रखा है।
चौतरफा घिरे इमरान
इसके अलावा इमरान अपने ही पार्टी और सरकार के चौतरफा घेरे में इस कदम घिर चुके हैं कि उनसे बाहर नहीं निकला जा रहा है। इमरान की इन्हीं परेशानियों का फायदा अब पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन और मौलाना फजलुर रहमान की पार्टी जमान उलेमा ए इस्लाम-फज्ल उठाने की कोशिश कर रही है। सरकार की नाकामयाबीयों को लेकर ये दोनों पार्टियां 28 अप्रैल को एक रैली निकालने वाली हैं। इसमें दोनों ही पार्टियां महंगाई, बेरोजगारी, और देश की खराब होती अर्थव्यवस्था को अपना मुद्दा बनाने वाली हैं। दोनों ही पार्टियों को विश्वास है कि यह रैली आने वाले दिनों में कई गुल खिलाएगी।
बढ़ती महंगाई समस्या
आपको बता दें कि ‘नया पाकिस्तान’ बनाने का नारा देकर सत्ता में आने वाले इमरान खान के कार्यकाल में रुपये की कीमत जहां तीस फीसद तक कम हुई है वहीं देश में तेल और गैस की कीमत में जबरदस्त तेजी आई है। आलम ये है कि पाकिस्तान में कुछ ही माह में खाने-पीने और जरूरी चीजों की कीमत 30-70 फीसद तक बढ़ चुकी हैं। दूध जैसी चीजों की कीमत आसमान छू रही हैं। वहीं आर्थिक बदहाली के चलते पाकिस्तान में नए रोजगार तो छोडिए पुराने कारोबार भी बर्बादी की कगार पर पहुंच रहे हैं।
कर्ज से बदहाली
आपको यहां पर ये भी बता दें कि देश को आर्थिक कंगाली से निकालने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुछ देशों की यात्राएं की थीं। इसी वर्ष फरवरी में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस जब पाकिस्तान आए थे तब उन्होंने पाकिस्तान को 20 बिलियन डॉलर देने की घोषणा की थी। लेकिन इससे भी देश की हालत में कोई सुधार नहीं आया है। यहां देश के आर्थिक हालात का जिक्र किया है तो बता दें कि चीन का पाकिस्तान पर करीब दस बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज अभी बकाया है। मालदीप पर चीन का करीब 1.5 बिलियन यूएस डॉलर कर्ज है। इसके अलावा दक्षिण अमेरिकी देश इक्वाडोर ने 2024 तक तेल में 80 फीसद हिस्सेदारी चीन को देने के बदले में 6.5 बिलियन यूएस डॉलर का कर्ज लिया है।
वित्तमंत्री का इस्तीफा
इतना ही नहीं देश के वित्त मंत्री असद उमर के इस्तीफा देने के बाद से हालात और खराब होने की आशंका को भी बल मिल रहा है। असद को इमरान खान का बेहद करीबी माना जाता रहा है। लेकिन उनका सरकार से बाहर जाना अपने आप में इमरान की काबलियत पर सवाल उठा रहा है। असद के इस्तीफे पर तो पीपीपी के प्रमुख बिलावल भुट्टो ने ट्विटर पर चुटकी लेते हुए लिखा था कि मुबारक हो सरकार का पहला विकेट गिर गया। राजनीतिक गलियारों में इस बयान के लिए कई अर्थ निकाले गए थे।
मंत्रियों को बदलने से नहीं परहेज
खान ने असद की जगह अब अब्दुल हाफिज शेख को वित्त मंत्रालय की कमान सौंपी है। उन्होंने पद संभालते ही कुछ मुश्किल फैसलों को आगे बढ़ाने की बात कह दी है। साथ ही उन्होंने आम लोगों से यह भी कह दिया है कि वह धैर्य रखें। इसके अलावा इमरान ने पूर्व खुफिया अधिकारी इजाज शाह आंतरिक मंत्रालय सौंपा गया है। इमरान खान खुद भी मान चुके हैं कि देश के आर्थिक हालात काफी खराब हो चुके हैं। इतना ही नहीं उन्होंने यहां तक कहा है कि यदि जरूरत हुई तो केबिनेट में और बदलाव भी किए जा सकते हैं। उन्होंने पिछले सप्ताह की कहा था कि जो मंत्री उपयोगी साबित नहीं हुए उन्हें बदलने से परहेज नहीं किया जाएगा।
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