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पाकिस्तान में हिंदू परिवारों का सड़कों पर फेंका गया सामान, अदालत से स्टे आर्डर लेने के बाद भी तोड़े गए घर

हिंदू परिवार को पास के एक मंदिर में शरण लेने के लिए मजबूर किया गया जबकि ईसाई परिवार और शिया बिना किसी आश्रय के रहने को मजबूर हैं। पीड़ित परिवारों ने अदालत से स्टे आर्डर लेने की कोशिश की। (जागरण-फोटो)

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Sun, 29 Jan 2023 06:32 PM (IST)Updated: Sun, 29 Jan 2023 06:32 PM (IST)
पाकिस्तान में हिंदू परिवारों का सड़कों पर फेंका गया सामान, अदालत से स्टे आर्डर लेने के बाद भी तोड़े गए घर
हिंदू परिवार को मंदिर में रहने को होना पड़ा मजबूर

रावलपिंडी, एएनआइ। पाकिस्तान के रावलपिंडी में अधिकारियों ने अल्पसंख्यक समुदाय के हिंदू और ईसाई परिवार के घरों को ध्वस्त कर दिया है, जो पिछले 70 वर्षों से इलाके में रह रहे थे।सूत्रों के अनुसार, 27 जनवरी को रावलपिंडी के छावनी क्षेत्र में एक हिंदू परिवार, एक ईसाई परिवार और शियाओं के कम से कम पांच घरों को ध्वस्त कर दिया गया था। उनका सामान मोहल्ले की सड़कों पर फेंक दिया गया।

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हिंदू परिवार को मंदिर में शरण लेने के लिए किया गया मजबूर

हिंदू परिवार को पास के एक मंदिर में शरण लेने के लिए मजबूर किया गया, जबकि ईसाई परिवार और शिया बिना किसी आश्रय के रहने को मजबूर हैं। पीड़ित परिवारों ने अदालत से स्टे आर्डर लेने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों ने बल प्रयोग कर उनके घरों को तोड़ दिया। एक हिंदू पीडि़त ने कहा, 'वे माफिया हैं और कम से कम सौ लोगों के समूह में आए थे। उन्होंने हमें परेशान भी किया, हम पर हमला भी किया क्योंकि हमने उनका मुकाबला करने की कोशिश की। वे इतने शक्तिशाली हैं कि पुलिस स्टेशन में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।'

उन्होंने कहा, 'हमने एक अदालत में उनका विरोध करने की कोशिश की, लेकिन छावनी बोर्ड के पास केवल एक न्यायाधीश नवीद अख्तर हैं, जो उनका पक्ष लेते हैं। हमारे पास सभी कागजात थे क्योंकि हम यहां 70 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं। उनके पास नहीं है।' हमें नोटिस दिया और अपने घरेलू सामान को बचाने के लिए समय नहीं दिया। हमारे पास परिवार को मंदिर ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।'

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक कर रहे हैं उत्पीड़न का सामना

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक पिछले कई दशकों से उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। देश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर सरकार, पुलिस और यहां तक कि न्यायपालिका भी मूकदर्शक बनी हुई है। पाकिस्तान के मामलों के एक विशेषज्ञ, डा. अमजद अयूब मिर्जा ने कहा, 'पाकिस्तान में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न कुछ ऐसा नहीं है जो हमारे लिए नया है। इस अवैध और नकली देश की स्थापना के बाद से जो धर्म के नाम पर बनाया गया था।'

हिंदुस्तान के जीवित शरीर को विभाजित करके, हमने अब हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों और शियाओं के उत्पीड़न को देखा है और पाकिस्तान के अपने लोगों के खिलाफ अत्याचारों में सबसे आगे रहे हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की असंख्य घटनाएं हैं, खासकर इसमें युवा लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन शामिल है।

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