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    Pakistan Floods: पाकिस्तान के इस गांव में बाढ़ पीड़ित मुसलमानों का सहारा बना मंदिर, हिंदुओं ने पेश की मानवता की मिसाल

    By Devshanker ChovdharyEdited By:
    Updated: Sun, 11 Sep 2022 02:24 PM (IST)

    पाकिस्तान में आई विनाशकारी बाढ़ के प्रभाव से बलूचिस्तान के कच्छी जिले में बसा जलाल खान एक छोटा सा गांव अभी भी जूझ रहा है।इस कठिन समय में स्थानीय हिंदू समुदाय ने बाबा माधोदास मंदिर के दरवाजे बाढ़ प्रभावित लोगों और उनके पशुओं के लिए खोल दिए हैं।

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    पाकिस्तान में इस गांव के बाढ़ पीड़ित मुसलमानों का सहारा बना मंदिर। प्रतीकात्मक तस्वीर।

    क्वेटा, एजेंसी। पाकिस्तान में आई विनाशकारी बाढ़ के प्रभाव से बलूचिस्तान के कच्छी जिले में बसा एक छोटा सा गांव जलाल खान अभी भी जूझ रहा है। नारी, बोलन, और लहरी नदियों में बाढ़ के कारण ये गांव बाकी प्रांत से कट गया है, जिससे दूरदराज के लोगों का संपर्क यहां के लोगों के साथ नहीं हो पा रहा है। ऐसे में इस कठिन समय में स्थानीय हिंदू समुदाय ने मानवता की मिसाल पेश की है। उन्होंने बाबा माधोदास मंदिर के दरवाजे बाढ़ प्रभावित लोगों और उनके पशुओं के लिए खोल दिए हैं। 

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    माधोदास बाबा मंदिर में बाढ़ पीड़ितों ने ली शरण

    स्थानीय लोगों के अनुसार, बाबा माधोदास विभाजन से पहले एक हिंदू दरवेश (संत) थे, जिन्हें क्षेत्र के मुसलमानों और हिंदुओं सभी मानते थे। यहां के एक स्थानीय नागरिक बुज़दार कहते हैं कि उनके माता-पिता द्वारा सुनाई गई कहानियों के अनुसार, संत ने धार्मिक सीमाओं को पार कर लिया था। स्थानीय अखबार डान की रिपोर्ट के मुताबिक, 'वह लोगों के बारे में उनकी जाति और पंथ के बजाय मानवता के बारे में पूछते थे।' इस विपदा की घड़ी में यहां के लोगों के लिए यही एक हिंदू मंदिर ही बसेरा है। यहां बाढ़ प्रभावित लोग और उनके पशुओं को रखा गया है।

    सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों का सहारा बना मंदिर

    जलाल खान में हिंदू समुदाय के अधिकांश लोग रोजगार और अन्य अवसरों के लिए कच्छी के अन्य शहरों में चले गए हैं, लेकिन कुछ परिवार इसकी देखभाल के लिए मंदिर परिसर में रहते हैं। भाग नारी तहसील के एक दुकानदार 55 वर्षीय रतन कुमार वर्तमान में मंदिर के प्रभारी हैं। उन्होंने डान को बताया कि मंदिर में 100 से अधिक कमरे हैं क्योंकि हर साल बलूचिस्तान और सिंध से बड़ी संख्या में लोग तीर्थयात्रा के लिए यहां आते हैं। रतन के बेटे सावन कुमार ने डान को बताया कि मंदिर के कुछ कमरे क्षतिग्रस्त हो गए, लेकिन कुल मिलाकर ढांचा सुरक्षित है।

    हिंदुओं ने पेश की मानवता की मिसाल

    डान की रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर परिसर में कम से कम 200-300 लोगों, ज्यादातर मुस्लिम और उनके पशुओं को शरण दी गई और उनकी देखभाल हिंदू परिवारों द्वारा की जाती हैं। बाढ़ से इस क्षेत्र का बाहर की दुनिया से पूरी तरह संपर्क कट गया है। यहां विस्थापित लोगों ने कहा कि उन्हें हेलीकाप्टर से राशन उपलब्ध कराया गया था, लेकिन जब वे मंदिर में चले गए, तो उन्हें हिंदू समुदाय द्वारा खिलाया जा रहा है। मंदिर के अंदर मेडिकल कैंप भी लगाया गया है। आज यह मंदिर मानवता की मिशाल पेश कर रहा है। यहां किसी की मदद करने से पहले उनसे उनकी जाति और धर्म नहीं पूछा जाता है। बस इंसानियत के नाते उनकी मदद की जाती है।