पाकिस्तानी कट्टरपंथी बांग्लादेश को बना रहे नया आतंकी अड्डा, युनुस की छूट पर जहर उगल रहा हाफिज सईद का करीबी
मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का करीबी इब्तिसाम इलाही जहीर बांग्लादेश पहुंचा, जिससे सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गईं। उसने भारत की सीमा से सटे जिलों का दौरा किया और मस्जिदों में धार्मिक सभाएं कीं। जहीर ने विवादित बयान दिया कि यहूदी और ईसाई मुसलमानों के दोस्त नहीं हो सकते। यूनुस सरकार पर कट्टरपंथियों को छूट देने के आरोप लग रहे हैं, जिससे अल्पसंख्यक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

हाफिज सईद का करीबी बांग्लादेश पहुंचा। इमेज सोर्स- सोशल मीडिया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद का करीबी और पाकिस्तान के इस्लामी संगठन मरकजी जमीयत अहले हदीस का महासचिव इब्तिसाम इलाही जहीर ने 25 अक्टूबर को बांग्लादेश के शाह मकदूम एयरपोर्ट पर पहुंचा।
जहीर के इस अचानक हुए दौरे को लेकर सुरक्षा एजेंसियां चौंक गईं। उसके स्वागत के लिए स्थानीय इस्लामी संगठन अल जामिया अस सलीफा का पदाधिकारी मौजूद था, जिसने उसे नऊदापाड़ा स्थित अपने कैंपस में ठहराया।
हाफिज सईद का करीबी बांग्लादेश पहुंचा
इसके बाद जहीर ने चपैनवाबगंज जिले के नचोले, रंगपुर, लालमुनिरहाट और निलफामारी जैसे भारत की सीमा से सटे जिलों का दौरा किया, जहां उसने स्थानीय मस्जिदों में कई धार्मिक सभाएं की। यह इलाके भारतीय सीमा के करीब 20-25 किमी की दूरी पर स्थित हैं। इन सभाओं में जहीर ने यह कहते हुए विवाद खड़ा किया कि यहूदी और इसाई मुस्लमानों के दोस्त नहीं हो सकते। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसने इस्लाम छोड़ने वालों को मारने की धमकी दी। यह बयान 2012 में दिए उसके पुराने विवादित भाषण की तर्ज पर दिया गया था।
युनुस सरकार ने दी जहीर को खुली छूट
पाकिस्तानी कट्टरपंथियों के लिए बांग्लादेश अब 'कार्रवाई का नया अड्डा' बनता दिखाई दे रहा है। अगस्त 2024 में मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के आने के बाद यह हाफिज सईद के सहयोगी इब्तिसाम इलाही जहीर की दूसरी यात्रा है। पहली वो फरवरी 2025 में बांग्लादेश आया था। इस बार दौरा पाकिस्तान के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद मिर्जा के साथ मेल खाता है, जो छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ ढाका पहुंचे थे। दोनों यात्राओं का ध्यान भारत-बांग्लादेश सीमा, खासकर सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर केंद्रित है। यूनुस सरकार पर पाकिस्तान समर्थक नीति और विदेशी कट्टरपंथियों को छूट देने के आरोप लग रहे हैं, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय असुरक्षित महसूस कर रहा है।

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