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    मुरीदके में TLP के साथ झड़प में पुलिस अधिकारी समेत पांच की मौत, मरने वालों में तीन प्रदर्शनकारी शामिल

    Updated: Mon, 13 Oct 2025 10:30 PM (IST)

    पाकिस्तान के मुरीदके शहर में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के सदस्यों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें एक पुलिस अधिकारी सहित पांच लोगों की मौत हो गई। टीएलपी गाजा के समर्थन में लाहौर से इस्लामाबाद तक मार्च कर रहा था, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया।

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    मुरीदके में TLP के साथ झड़प में पुलिस अधिकारी समेत पांच की मौत (फोटो सोर्स- रॉयटर्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुरीदके शहर में सोमवार को कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के हजारों सदस्यों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक झड़प में एक पुलिस अधिकारी समेत पांच लोगों की मौत हो गई।

    टीएलपी ने शुक्रवार को लाहौर से मार्च शुरू किया था, जिसे इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास तक जाना था। उसने गाजा के लोगों के समर्थन में वहां धरना देने की घोषणा की थी, लेकिन रास्ते में ही पुलिस ने रोक दिया। पुलिस ने गड्ढे खोदवाकर और बैरिकेड लगाकर रास्ते बंद कर दिए थे।

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    कट्टरपंथी संगठन ने गाजा के लिए विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय ऐसे समय में लिया, जब वहां युद्धविराम की घोषणा हो चुकी है और गाजा के लोग जश्न मना रहे हैं। प्रदर्शनकारी ग्रैंड ट्रंक (जीटी) रोड पर लाहौर से लगभग 40 किलोमीटर दूर मुरीदके तक पहुंचने में सफल रहे। पुलिस ने उन्हें वहां रोक दिया।

    प्रदर्शनकारियों को समझाने की सभी कोशिशें विफल रहने पर पुलिस ने सड़क खाली कराने और उन्हें तितर-बितर करने के लिए अभियान शुरू किया। पुलिस के अनुसार, यह अभियान करीब पांच घंटे चला और सोमवार तड़के खत्म हुआ।

    इस दौरान कील लगे डंडों, ईंट, पेट्रोल बम और यहां तक की बंदूकों से लैस प्रदर्शनकारियों की सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प हुई। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, 'एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई और 48 घायल हो गए। इनमें से 17 को गोली लगी है। एक नागरिक और तीन प्रदर्शनकारी भी मारे गए हैं, जबकि आठ अन्य घायल हुए हैं।' पंजाब पुलिस ने दावा किया है कि प्रदर्शनकारियों ने 40 सरकारी और निजी वाहनों को फूंक दिया। कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है।

    सेना की कठपुतली है टीएलपी

    आइएएनएस के अनुसार, टीएलपी को पाकिस्तानी सेना का छद्म संगठन माना जाता है और किसी ने भी यह उम्मीद नहीं की थी कि वह उसके खिलाफ जो जाएगा। सेना जब लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई किसी सरकार से नाखुश होती है तो वह उसे सत्ता से बेदखल करने का प्रयास करती है और इस प्रयास में टीएलपी का इस्तेमाल करती है।

    यह संगठन लंबे समय से देश की कुख्यात खुफिया एजेंसी आइएसआइ की राह पर चलता रहा, लेकिन वह अब आक्रामक हो गया है और इस्लामी एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना और आइएसआइ ने जम्मू-कश्मीर में अपने नापाक मंसूबों के लिए लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को खड़ा किया है तो घरेलू राजनीति के लिए टीएलपी को बनाया है।