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    CPEC Project: अफगानिस्तान तक BRI का विस्तार करेगा चीन और पाकिस्तान, भारत पर क्या असर होगा?

    CPEC । चीन में पाकिस्तानी राजदूत मोइनुल हक ने रविवार को बताया कि दोनों देश अब अफगानिस्तान तक सीपीईसी का विस्तार करेंगे। उन्होंने कहा कि सीपीईसी पाकिस्तान के आर्थिक विकास के लिए गेम चेंजर और बहुत महत्वपूर्ण रहा है। वहीं भारत CPEC का दृढ़ता से विरोध करता आ रहा है। उसने इसे अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा बताया है।

    By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Mon, 09 Oct 2023 03:18 PM (IST)
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    CPEC का अब अफगानिस्तान तक होगा विस्तार, पाकिस्तानी राजदूत ने दी जानकारी

    पीटीआई, इस्लामाबाद। China Pakistan Economic Corridor: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का विस्तार अब अफगानिस्तान तक किया जाएगा। पाकिस्तान और चीन सीपीईसी में तीसरे पक्षों को शामिल करने पर सहमत हो गए हैं। एक शीर्ष पाकिस्तानी राजनयिक ने यह जानकारी दी।

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    BRI का महत्वपूर्ण हिस्सा है CPEC

    दरअसल, सीपीईसी चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत इसका दृढ़ता से विरोध करता आ रहा है। सीपीईसी चीन के शिनजियांग को पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित ग्वादर बंदरगाह से जोड़ेगा, जो कि पीओके से होकर गुजरता है। यह 60 अरब डॉलर की परियोजना है। बीआरआई के जरिए चीन विदेशों में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है।

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    पाकिस्तानी राजदूत ने CPEC के विस्तार की दी जानकारी

    पाकिस्तान के सरकारी एसोसिएटेट प्रेस ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक, चीन में पाकिस्तानी राजदूत मोइनुल हक ने रविवार को बताया कि सीपीईसी पाकिस्तान के आर्थिक विकास के लिए गेम चेंजर और बहुत महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने कहा कि अब हम इस परियोजना में भाग लेने के लिए तीसरे पक्षों को आमंत्रित करने पर सहमत हुए हैं। अब हम इसे अफगानिस्तान तक बढ़ाएंगे।

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    मोइनुल हक ने की चीन की तारीफ

    मोइनुल हक ने चीन की जमकर तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि चीन AI, ई-कॉमर्स और हरित प्रौद्योगिकियों समेत कई टेक्नोलॉडी में वैश्विक नेता है। हक ने कहा कि सीपीईसी के तहत पाकिस्तान को 8000 मेगावाट की ऊर्जा मिल रही है, जिससे उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिली है।

    भारत के विरोध को किया नजरअंदाज

    भारत कई बार सीपीईसी परियोजना में तीसरे देशों की भागीदारी की योजना पर अपना विरोध जता चुका है। उसके बावजूद चीन और पाकिस्तान इसका विस्तार करना चाहते हैं। विदेश मंत्रालय का साफ तौर पर कहा है कि ऐसी कोई भी योजना भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडा का उल्लंघन करती है। ऐसी गतिविधियां अवैध, नाजायज और अस्वीकार्य है।