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    पाकिस्तान से आजादी के लिए संयुक्त मोर्चा बनाएंगे बलूच और सिंधी संगठन, भारत से मदद की अपील

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Mon, 27 Jul 2020 06:01 AM (IST)

    पाकिस्तानी कब्जे और फौज के अत्याचारों के खिलाफ लड़ने के लिए आजादी समर्थक बलूच और सिंधी संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाने का फैसला किया है।

    पाकिस्तान से आजादी के लिए संयुक्त मोर्चा बनाएंगे बलूच और सिंधी संगठन, भारत से मदद की अपील

    इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तानी कब्जे और फौज के अत्याचारों के खिलाफ लड़ने के लिए आजादी समर्थक बलूच और सिंधी संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाने का फैसला किया है। बलूच राज अजोई संगर (ब्रास) के प्रवक्ता बलूच खान ने एक बयान में कहा कि ब्रास के सदस्य संगठनों और आजादी समर्थक सिंधी संगठन सिंधुदेश रिवोल्यूशनरी आर्मी (एसआरए) के प्रतिनिधियों की एक अज्ञात स्थान पर बैठक हुई।

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    बैठक में क्षेत्र के मौजूदा हालात चर्चा हुई और बलूचिस्तान और सिंध को पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त कराने के लिए संयुक्त मोर्चा बनाने की घोषणा की गई। ब्रास में बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए), बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ), बलूच रिपब्लिकन आर्मी (बीआरए) और बलूच रिपब्लिकन गार्ड (बीआरजी) संगठन शामिल हैं।

    बैठक में शामिल होने वालों ने सर्वसम्मति से सहमति व्यक्ति की कि सिंधी और बलूच राष्ट्र के बीच हजारों साल से राजनीतिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। वर्तमान में दोनों राष्ट्रों का उद्देश्य पाकिस्तान से आजादी पानी है और दोनों पाकिस्तानी राज्य पंजाब को अपना कट्टर दुश्मन मानते हैं। बैठक में कहा गया है कि यह समय की मांग है कि दोनों पड़ोसी राष्ट्र संयुक्त प्रतिरोध मोर्चा गठित करें।

    प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि सिंध और बलूचिस्तान दोनों ही चीन की विस्तारवादी और दमनकारी नीतियों के समान रूप से शिकार हुए हैं। बयान में कहा गया है कि चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के जरिए पाकिस्तान और चीन का मकसद बलूचिस्तान और सिंध को उनके वैध राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य हितों को अपने अधीन करना और बादिन से लेकर ग्वादर तक तटों और संसाधनों पर कब्जा जमाना है।

    सिंध और बलूचिस्तान के तट न सिर्फ हिंद महासागर से जुड़ा है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार के लिए अहम जल मार्ग होर्मुज जलडमरूमध्य के नजदीक भी है। बलूच खान ने कहा कि चीन और पाकिस्तान की विस्तारवादी नीति के खिलाफ भारत समेत अन्य क्षेत्रीय ताकतों को सिंधी और बलूच राष्ट्रों के साथ खड़ा होना होगा। इसी से क्षेत्र में शांति और स्थिरता की बहाली संभव हो सकेगी।