Human Rights Council of Balochistan: बलूच कार्यकर्ताओं ने फर्जी मुठभेड़ों और पाकिस्तान में लापता लोगों की रिहाई की मांग की
प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स कलेक्टिव के कैसर जावेद ने मिसिंग पर्सन बिल के बारे में बात की जिसके पारित होने में बाधा थी। उन्होंने हाल ही में कराची से उठाए ग ...और पढ़ें

लाहौर, एजेंसियां। पाकिस्तान में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और विभिन्न छात्र संगठनों ने मंगलवार को विरोध प्रदर्शन किया और फहीम बलूच सहित सभी लापता व्यक्तियों की तत्काल रिहाई की मांग की। 'डान' की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने प्रेस क्लब के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों के हाथों में कई लापता व्यक्तियों की तस्वीरें, वे स्थान जहां से वे गायब हुए थे और उनके लापता होने की तारीखों वाली तख्तियां थीं। प्रदर्शनकारियों ने उन लापता व्यक्तियों के नाम का नारा लगाया जिनकी तस्वीरें सभा में दिखाई गई थीं और उनकी रिहाई की मांग की।
इस बीच, प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स कलेक्टिव के कैसर जावेद ने मिसिंग पर्सन बिल के बारे में बात की, जिसके पारित होने में बाधा थी। उन्होंने हाल ही में कराची से उठाए गए एक प्रकाशक फहीम बलूच के मामले का भी जिक्र किया और बताया कि कैसे उसका ठिकाना अब तक अज्ञात है। "अगर वे साहित्य और शिक्षा से इतना डरते हैं तो वे इस देश से भी शिक्षा को खत्म कर सकते हैं।
पाकिस्तान में छात्रों का हो रहा अपहरण
डान के अनुसार, फहीम हबीब बलूच को चार अज्ञात लोग ले गए थे। उनके दोस्तों और अन्य अधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि फहीम शुक्रवार शाम को अपनी किताब की दुकान, इल्म-उ-अदब पब्लिशर्स पर बैठे थे, जब उन्हें ले जाया गया। गवाहों का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि पुरुषों ने विनम्रता से फहीम से पूछा कि क्या उसने जर्मनी को किताबें भेजी हैं। उन्होंने उससे कहा कि बाहर खड़ी उनकी गाड़ी में बैठे उनके सीनियर उनसे मिलना चाहते हैं। वे उसे ले गए और तब से, उसका ठिकाना अज्ञात था ।
इस बीच, पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) के सदस्य, परवीन नाज ने कहा कि फहीम उनके अधिकार निकाय का हिस्सा था और सदा-ए-बलूचिस्तान पत्रिका प्रकाशित कर रहा था। कई रिपोर्टों के अनुसार, निर्दोष बलूच फर्जी मुठभेड़ों में मारे जाते हैं और उनके क्षत-विक्षत शव दूर-दराज के स्थानों में पाए जाते हैं।
एक वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार मानवाधिकार परिषद बलूचिस्तान ने कहा है कि बलूचिस्तान के साथ-साथ पाकिस्तान के अन्य क्षेत्रों में भी छात्र इन अपहरणों का मुख्य लक्ष्य बने हुए हैं। जुलाई में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने 10 छात्रों सहित 45 लोगों को जबरन अगवा किया था। पंद्रह लोगों को बाद में छोड़ दिया गया, जबकि 35 लोगों के ठिकाने का पता नहीं चल पाया है। पिछले महीनों की तुलना में जुलाई में हत्याओं के मामलों में वृद्धि देखी गई। बलूचिस्तान की मानवाधिकार परिषद ने पांच महिलाओं सहित हत्याओं के 48 मामलों का दस्तावेजीकरण किया, जबकि चौदह शव अज्ञात रहे।

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