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अल्पसंख्यक विरोधी साबित होगा पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून में संशोधन, हिंदुओं का उत्पीड़न बढ़ने की आशंका

पाकिस्तान के शीर्ष मानवाधिकार निकाय ने देश के विवादास्पद ईशनिंदा कानून में संशोधन पर गहरी चिंता व्यक्त की है। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने मंगलवार को आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2023 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। फाइल फोटो।

By Sonu GuptaEdited By: Sonu GuptaPublished: Sat, 21 Jan 2023 10:49 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jan 2023 10:49 PM (IST)
अल्पसंख्यक विरोधी साबित होगा पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून में संशोधन, हिंदुओं का उत्पीड़न बढ़ने की आशंका
अल्पसंख्यक विरोधी साबित होगा पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून में संशोधन।

इस्लामाबाद, पीटीआई। पाकिस्तान के शीर्ष मानवाधिकार निकाय ने देश के विवादास्पद ईशनिंदा कानून में संशोधन पर गहरी चिंता व्यक्त की है। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने मंगलवार को आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2023 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके तहत इस्लाम के धार्मिक प्रतीकों का अपमान करने वाले को दी जाने वाली न्यूनतम सजा को तीन वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है और 10 लाख रुपये जुर्माने का प्रविधान किया गया है।

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अल्पसंख्यकों का बढ़ेगा उत्पीड़न

मानवाधिकार निकाय ने कहा है कि इससे धार्मिक अल्पसंख्यकों खास तौर से हिंदुओं और अल्पसंख्यक संप्रदायों का उत्पीड़न बढ़ने की आशंका है। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) की चेयरपर्सन हिना जिलानी ने शुक्रवार को लाहौर से बयान जारी कर कहा है कि सजा में वृद्धि से अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न बढ़ेगा। यह विधेयक अपराध को गैर-जमानती भी बनाता है, जिससे अनुच्छेद नौ के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संवैधानिक रूप से गारंटीकृत अधिकार का सीधे उल्लंघन होता है।

कानून का बढ़ेगा दुरुपयोग

एचआरसीपी ने कहा, 'पाकिस्तान में ऐसे कानूनों के दुरुपयोग के खराब रिकार्ड को देखते हुए इन संशोधनों के धार्मिक अल्पसंख्यकों और संप्रदायों के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल होने की संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप उनके खिलाफ झूठी प्राथमिकी, उत्पीड़न और अत्याचार होंगे।' मानवाधिकार संस्था ने कहा कि कथित ईशनिंदा के लिए जुर्माना बढ़ाने से व्यक्तिगत प्रतिशोध की आड़ में कानून का दुरुपयोग बढ़ेगा जैसा कि अकसर ईशनिंदा के आरोपों के मामले में होता रहा है।

कानून के सख्त होने से होगा विपरीत असर

बयान में कहा गया है, 'ऐसे समय में जब नागरिक संस्था इन कानूनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए संशोधन की मांग कर रही है तो इसे और सख्त करने से ठीक विपरीत असर होगा।'

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