पाकिस्तान में जुल्म सहने को मजबूर अहमदिया समुदाय, मस्जिदों और कब्रिस्तानों को भी नहीं बख्श रहे कट्टरपंथी
इस संबंध में पुलिस की ओर से कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। एक अन्य घटना में अहमदिया समुदाय के 75 वर्षीय व्यक्ति डा.रशीद अहमद की पंजाब प्रांत के गोत्रियाला इलाके में स्थित उनके घर में टीएलपी कट्टरपंथियों द्वारा हत्या कर दी गई थी।
गुजरांवाला, एएनआई। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक अहमदिया मुस्लिम समुदाय धार्मिक सगंठनों, सरकारी एजेंसियों और तालिबान द्वारा लगातार जुल्म सहने को मजबूर है। खास बात यह कि इनके पक्ष में कोई खड़ा होने को तैयार नहीं है। पंजाब के गुजरांवाला जिले के तलवंडी खजूरवाली जिले में स्थित अहमदिया समुदाय की कब्रों को हाल ही में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के कट्टरपंथियों ने अपवित्र कर ध्वस्त कर दिया था।
अहमदियों की हत्या कर रहा तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान
इस संबंध में पुलिस की ओर से कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। एक अन्य घटना में अहमदिया समुदाय के 75 वर्षीय व्यक्ति डा.रशीद अहमद की पंजाब प्रांत के गोत्रियाला इलाके में स्थित उनके घर में टीएलपी कट्टरपंथियों द्वारा हत्या कर दी गई थी। डा.रशीद अहमद ने नार्वे की नागरिकता हासिल कर ली थी, लेकिन कुछ अरसा पहले पाकिस्तान वापस आए और अपने गृहनगर में जनता को मुफ्त चिकित्सा सेवा देने के लिए होम्योपैथी की क्लीनिक खोली थी।
अहमदिया समुदाय उत्पीड़न का कर रहा सामना
अहमदिया मुस्लिम समुदाय अपनी आस्था के कारण उत्पीड़न का सामना कर रहा है। उन्हें मुख्यधारा के मुसलमानों खासकर सुन्नियों द्वारा गैर-मुस्लिम माना जाता है। हाल की एक अन्य घटना में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के कट्टरपंथियों ने अहमदिया समुदाय के सदस्यों को पंजाब प्रांत के कसूर शहर में स्थित उनकी मस्जिद में प्रवेश करने से रोक दिया।
मस्जिद के दरवाजे कर दिए गए बंद
सूत्रों ने कहा कि उन्होंने नमाज के लिए आए अहमदिया समुदाय के सदस्यों को परेशान किया और उनके साथ मारपीट की। इसके अलावा, उन्होंने मस्जिद के दरवाजे बंद कर दिए। अहमदिया समुदाय के सदस्यों ने इस संबंध में स्थानीय पुलिस से संपर्क किया लेकिन उन्हें पुलिस से कोई मदद नहीं मिली। उल्लेखनीय है भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर पाकिस्तान की खिंचाई की।
पाकिस्तानी समकक्ष हिना रब्बानी खार फटकार
जवाब देने के अपने अधिकार का उपयोग करते हुए, भारत की प्रतिनिधि सीमा पुजानी ने अपनी पाकिस्तानी समकक्ष हिना रब्बानी खार को यह कहते हुए फटकार लगाई कि कोई भी धार्मिक अल्पसंख्यक आज पाकिस्तान में स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकता या अपने धर्म का पालन नहीं कर सकता है। अहमदिया समुदाय को केवल अपने धर्म का पालन करने के लिए राज्य द्वारा सताया जा रहा है।
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